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मेरे वादे मेरी कसमे मेरे वो ख़त जला देना …….

मेरे वादे मेरी कसमे मेरे वो ख़त जला देना
दर-ओ-दीवार से दिल की मुझे बेशक़ मिटा देना।।
मुझे आता नही है हक़ मुहब्बत का अता करने
मेरे माथे पर बोसा दे के हक़ अपना जता देना।।
मुहब्बत में गवारा है मुझे मदहोश ही रहना
कभी जब होश में आऊँ फिरआँखों से पिला देना।।
कटी है जीस्त ये महफ़िल में शम्मा की तरह जलकर
हो मुमकिन याद में मेरी फ़क़त महफ़िल सजा देना।।
कली खुद बेचती है रास्ते पर फूल चुन-चुन कर
खरीदो दर्द और उसके लबों पर गुल खिला देना।।
कसम से ज़िन्दगी में खूब ठोकर खा चुके हैं हम
तुम्हारा हाथ है थामा हमें चलना सीखा देना।।
तिरंगे में लिपट कर चैन से अब सो रहा हूँ मैं
मेरी आँखो से मेरी माँ की उँगली को हटा देना।।
कभी हालात के मारे हुओं को देखना”सन्दल”
बहुत लगती है बातें मत कभी भी मशविरा देना।।

~प्रिया सिन्हा”सन्दल

नोएडा

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