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क्या ब्रेस्टफीडिंग से कम होता है वजन? जानें

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान वजन कम होना नॉर्मल है या नहीं, इस दौरान ब्रेस्ट मिल्क पर वजन में बदलाव का क्या असर होता है, इस बारे में एक्सपर्ट से जानते हैं।

हिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कई चैलेंजेस का भी सामना करना पड़ सकता है। नई मां के लिए इससे जुड़ी सही जानकारी बहुत जरूरी है। ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े कई मिथ्स भी हैं, जिन पर अक्सर महिलाएं यकीन कर लेती हैं और इनसे नुकसान हो सकता है। इसलिए ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी किसी भी बात पर यकीन करने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। ब्रेस्टफीडिंग का वजन पर क्या असर होता है, क्या इस दौरान वजन कम होना नॉर्मल है या नहीं, इस बारे में भी अक्सर महिलाएं सवाल करती हैं। हमने इस विषय पर लता सशि, चीफ न्यूट्रिशनिस्ट, हेड ऑफ डिपार्टमेंट, डिपार्टमेंट ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन और डायटेटिक्स, फर्नांडीज हॉस्पिटल और सुमरना, डाइटिशियन, न्यूट्रिशनिस्ट, डिपार्टमेंट ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन और डायटेटिक्स, फर्नांडीज हॉस्पिटल से बात की। आइए जानते हैं ब्रेस्टफीडिंग का वजन पर क्या असर होता है?

ब्रेस्टफीडिंग का वजन पर असर

नई मां के लिए ब्रेस्टफीडिंग वजन कम करने का एक अच्छा विकल्प हो सकती है। एक्सपर्ट के मुताबिक, ब्रेस्टफीडिंग का मां के वजन पर लॉन्ग टर्म पॉजिटिव इफेक्ट होता है। ब्रेस्टफीड करवाने वाली माताएं लगभग 500 किलोकैलोरी रोजाना कम कर सकती हैं। जो लगभग 45-60 मिनट तक एक्सरसाइज कर बर्न होने वाली कैलोरीज के बराबर हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान होने वाले पोस्टपार्टम वेट लॉस पर कई चीजें असर डालती हैं। प्री-प्रेग्नेंसी वेट, प्रेग्नेंसी के दौरान हुआ वेट गेन, कैलोरी इनटेक, फिजिकल एक्टिविटी, ये सभी चीजें डिलीवरी के बाद वेट लॉस पर असर डालती हैं। औसतम, ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली मां एक महीने में 0.5-1 किलो तक वजन कम कर सकती है। जो महिलाएं ब्रेस्टफीड करवाती हैं, वे समय के साथ उन महिलाओं की तुलना में अधिक वेट लॉस कर पाती हैं, जो ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवाती हैं।

ब्रेस्टफीडिंग मदर्स के लिए डाइट

ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को डाइट का भी खास ख्याल रखना चाहिए। उन्हें अपनी डाइट में साबुत अनाज, फलियां, प्रोटीन, फाइबर रिच फलों और सब्जियों को शामिल करना चाहिए साथ ही सही मात्रा में पानी पीना और लो प्रोसेस्ड फूड वेट लॉस में मदद करेंगे। रोजाना 1500-1800 कैलोरी से कम नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे मिल्क सप्लाई प्रभावित हो सकती है। अगर महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग करवाते वक्त ज्यादा डाइट लेती हैं और कम मूवमेंट करती हैं, तो उससे जो कैलोरीज, ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बर्न होती हैं, उसकी भरपाई हो जाती हैं। नई मां की नींद पूरी न होना का असर भी वजन पर पड़ता है।

पोस्टपार्टम में ब्रेस्टफीटिंग मदर्स को रखना चाहिए इन बातों का ख्याल
डिलीवरी के कम से कम 6-8 हफ्ते बाद ही कैलोरी इनटेक को लिमिट करना चाहिए। क्योंकि इस दौरान सही डाइट, डिलीवरी के बाद हेल्दी रहने और ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई के लिए जरूरी है। डिलीवरी के 6-8 हफ्ते बाद डॉक्टर की सलाह पर आप वजन कम करने की कोशिश कर सकती हैं। हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल के साथ, तेज चलना, जॉगिंग और पिलेट्स किए जा सकते हैं। हालांकि, डॉक्टर की मंजूरी सबसे पहले जरूरी है।

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