ISRO: जानिए कौन हैं एस सोमनाथ, जिनके नेतृत्व में चंद्रयान-3 रचने वाला है इतिहास
पूर्व इसरो चीफ के सिवन का कार्यकाल पूरे होने के बाद एस. सोमनाथ इस पद पर तैनात हुए थे। इसरो चीफ के साथ वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष भी हैं. इस तैनाती से पहले वे तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के डायरेक्टर थे।
भारत का चंद्रयान-3 जल्द ही इतिहास रचने वाला है। यह भारत की उम्मीदों को लेकर चांद की सतह पर उतरेगा। 23 अगस्त को शाम 6.04 बजे इसके चंद्रमा की सतह पर उतरने की पूरी उम्मीद है। इसी बीच आइए एक ऐसे शख्स के बारे में जानते हैं जो इस पूरे मिशन का नेतृत्व कर रहा है. ये शख्स कोई और नहीं बल्कि इसरो चीफ एस. सोमनाथ हैं। इसरो का नेतृत्व करने वाले एस.सोमनाथ ने इसरो के कई अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, चंद्रयान-3 उनमें से एक है. यह भी जानेंगे कि उन्होंने चंद्रयान-3 को इतनी ऊंचाई पर कैसे पहुंचा दिया है। अब जबकि सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सुरक्षित लैंड करने वाला है।
कार्यकाल तीन साल का
दरअसल, इसरो चेयरमैन एस. सोमनाथ चंद्रयान-3 के मास्टरमाइंड में से एक हैं। सोमनाथ को इसरो की कमान 14 जनवरी 2022 में दी गई थी। यह कार्यकाल तीन साल का है. पूर्व इसरो चीफ के सिवन का कार्यकाल पूरे होने के बाद इस पद पर तैनात हुए थे। इसरो चीफ के साथ वह अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष भी हैं। इस तैनाती से पहले वे तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के डायरेक्टर थे. उनके कार्यभार संभालने के बाद से चंद्रयान-3, आदित्य-एल1 (सूर्य मिशन) और गगनयान जैसे महत्वपूर्ण मिशनों को तेजी मिली है।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन
रिपोर्ट्स के मुताबिक इसरो चीफ एस सोमनाथ का जन्म जुलाई 1963 को केरल के अलापुझा जिले में हुआ था। उनके पिता शिक्षक थे। साथ ही उनकी शुरुआती पढ़ाई केरल में ही हुई. केरल विश्वविद्यालय से ही उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। सोमनाथ ने पोस्ट ग्रेजुएशन बैंगलोर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से की थी। एस. सोमनाथ की पत्नी जीएसटी विभाग में कार्यरत हैं, उनका नाम वलसाला है. दोनों के दो बच्चे हैं जो इंजीनियरिंग में पीजी की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं।
इसरो के हर मिशन पर बेहद बारीक नजर
बताया जाता है कि सोमनाथ को स्पेसक्राफ्ट लांच व्हीकल की डिजाइन, इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, मैकेनिज्म, पायरोटेक्नीक और इंटीग्रेशन के मामले में महारत हासिल है। वह इसरो के हर मिशन पर बेहद बारीकी से नजर रखते हैं. इन्हीं में से एक चंद्रयान-3 भी है. फिलहाल वे इसरो के अध्यक्ष के रूप में संगठन के हिस्से के रूप में महत्वपूर्ण मिशनों के प्रमुख हैं।