केन्द्र और राज्य दोनों में ही हमारी सरकार है ऐसे में अगर मंदिर के गेट का ताला तोड़ूं ये अशोभनीय होगा : उमा भारती
उमा भारती जब रायसेन किले में स्थित सोमेश्वर महादेव शिव मंदिर में जल चढ़ाने के लिए पहुंची तो पहले तो उन्हें किले के नीचे ही रोक दिया गया। जिसे लेकर उमा भारती ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की।
रायसेन। रायसेन के किले में स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर में जल चढ़ाने के लिए पहुंची प्रदेश की पूर्व सीएम और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती को बाहर से ही जल चढ़ाकर वापस लौटना पड़ा। मगर उन्हें बिना जल चढ़ाए ही वापस लौटना पड़ा। दरअसल पुलिस प्रशासन ने उन्हें किले के नीचे ही रोक दिया। प्रशासन के इस निर्णय पर उमा भारती नाराज हो गई और वो गेट पर ही जल का लोटा रखकर वापस आ गई। उमा भारती ने कहा कि उन्होंने पहले ही प्रशासन को जल चढ़ाने आने की सूचना दी थी इसके बाद भी मंदिर के गेट का ताला नहीं खोला गया। अब केन्द्र और राज्य दोनों में ही हमारी सरकार है ऐसे में अगर मंदिर के गेट का ताला तोड़ूं ये अशोभनीय होगा।
पहले किले के नीचे ही रोका
उमा भारती जब रायसेन किले में स्थित सोमेश्वर महादेव शिव मंदिर में जल चढ़ाने के लिए पहुंची तो पहले तो उन्हें किले के नीचे ही रोक दिया गया। जिसे लेकर उमा भारती ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की। हालांकि बाद में कलेक्टर सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और उमा भारती को साथ लेकर किले में स्थित मंदिर पर ले गए जहां उमा भारती ने ताले लगे गेट के बाहर से ही भगवान शिव को जल चढ़ाया। उमा भारती ने कहा कि राम नवमी पर यहां केन्द्रीय पुरातत्व विभाग, केन्द्र और राज्य सरकार ने मुझे आश्वासन दिया था। मुझसे वादा किया गया था कि आज के दिन इसे खुलवाया जाएगा। मैं यहां से हर बार हार कर लौट जाती हूं।
इससे पहले किले के नीचे रोके जाने से उमा भारती काफी नाराज नजर आईं। उन्होंने कुछ मीडिया चैनल्स को दिए बयान में ये तक कहा कि आज तो मुझे ही किले में स्थित मंदिर में जाने से रोक दिया गया। किले के नीचे ही रोक दिया गया ऊपर नहीं जाने दिया। केन्द्र और राज्य में हमारी सरकार है इसके बाद भी अगर मैं गेट या ताला तोड़ दूं तो ये अशोभनीय होगा।
साल में एक बार खुलता है मंदिर
बता दें कि रायसेन के किले में बना शिव मंदिर साल में केवल एक दिन शिवरात्रि के दिन ही खुलता है। बाकी 364 दिन यह ताले में बंद रहता है। सोमेश्वर धाम मंदिर के प्रति आसपास के श्रद्धालुओं की आस्था है। यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन हो जाने के बाद इसे ताले में बंद कर दिया गया था। 1974 में नगर के लोगों ने एकजुट होकर मंदिर खोलने और यहां स्थित शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए आंदोलन किया था। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी ने महाशिवरात्रि पर खुद आकर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा कराई थी। तब से हर महाशिवरात्रि पर मंदिर के ताले श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं और यहां विशाल मेला भी लगता है।