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वायु सेना की 91वीं वर्षगांठ आज, 72 वर्ष बाद आज इंडियन एयरफोर्स को मिलेगा नया ध्वज

नौसेना के बाद वायुसेना को भी अपने 91वें स्थापना दिवस पर नया ‘इनसाइनिया’ (ध्वज संकेत) मिल रहा है। इस ऐतिहासिक दिन पर, वायु सेना प्रमुख वायुसेना के नए ध्वज का अनावरण करेंगे।

नेहा पाठक

नई दिल्ली। वायु सेना की 91वीं वर्षगांठ पर आज एक और नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। आठ अक्टूबर को वायुसेना का झंडा बदला जाएगा। यह बदलाव 72 वर्ष बाद किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना अपने मूल्यों को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए आज प्रयागराज में एयरफोर्स डे परेड में अपने नए ध्वज का अनावरण करेगी। वायु सेना अध्यक्ष चीफ एयर मार्शल वीआर चौधरी परेड के दौरान झंडा बदलने के साथ वायु योद्धाओं को शपथ भी दिलाएंगे। अपने बेड़े में विमानों की संख्या के लिहाज से भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी बड़ी वायुसेना है और विषम से विषम परिस्थितियों में भी दुश्मन के दांत खट्टे करने की क्षमता रखती है।

वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी संगम नगरी प्रयागराज में वायुसेना का नया इनसाइनिया जारी करेंगे। यह अंग्रेजों के जमाने की वायुसेना से आज की वायुसेना तक के सफर में अहम बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। इसमें चिनूक, चेतक, जगुआर, अपाचे, राफेल समेत कई विमान आपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे।

नए ध्वज में सबसे ऊपर दाएं कोने में भारतीय वायुसेना का चिह्न होगा। ‘एनसाइन’ के ऊपरी दाएं कोने में फ्लाई साइड की ओर वायु सेना क्रेस्ट के शीर्ष पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिह्न और उसके नीचे देवनागरी में ‘सत्यमेव जयते’ शब्द है। अशोक चिह्न के नीचे एक हिमालयी गरुड़ है जिसके पंख फैले हुए हैं।, जो भारतीय वायुसेना के युद्ध के गुणों को दर्शाता है। इस पर ‘भारतीय वायु सेना’ लिखा है। भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ हिमालयी गरुड़ के नीचे देवनागरी के सुनहरे अक्षरों में अंकित है।

वायुसेना 1976 तक एक अप्रैल को ही अपना स्थापना दिवस मनाती रही है। अंग्रेजों के जमाने में इसी दिन 1933 में पहली स्क्वाड्रन बनी थी। इसके बाद पहले भारतीय वायुसेनाध्यक्ष के रूप में सुब्रतो मुखर्जी ने भी एक अप्रेल 1954 को ही कार्यभार सम्भाला था, लेकिन 1976 से सरकार ने 8 अक्टूबर को वायुसेना दिवस मनाने का फैसला कर लिया, क्योंकि इसी दिन 1932 में गवर्नर जनरल ने भारतीय वायुसेना अधिनियम 1932 को मंजूरी दी थी।

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