महर्षि वाल्मिकी को कथा के जनक, राम और कृष्ण कथा के आविष्कर्ता हैं जबकि वेदव्यास जी पुरस्कर्ता है : जगतगुरू स्वामी रामभद्राचार्य
अंकित बाजपेई
कानपुर नगर। शास्त्रीनगर स्थित सेंट्रल पार्क में चल रही श्री मद् भागवत कथा के पांचवे दिन जगतगुरू स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ने कई अहम बातें बताई। उन्होंने कहा कि आचार्य का चिंतन हमेशा श्रुति सम्मत होना चाहिए। आजकल संत उनको माना जा रहा है, जो वेद और पुराण को न जानते हैं और न ही उसे मानते हैं। उन्होंने कहा कि चिंतन में अगर श्रुति का आग्रह नहीं होगा, तो जो कुछ कहा जाएगा। वह सत्य से काफी दूर होगा। ऐसे में जब चिंतन वेद विरूद्ध चला जाए तो उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं चिंतकों से प्रार्थना कर रहा हूं कि जो भी चिंतन हो वो श्रुति सम्मत होना चाहिए।
महर्षि बाल्मिकी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा वेद सम्मत ही लिखा। इस दौरान उन्होने कथा और कहानी के बीच का अंतर भी बताया। कथा वही होती है जो वेद के अनुसार हो क्योंकि वह भगवान के गुणों से युक्त और वेद से अनुमोदित है। महर्षि वाल्मिकी को कथा के जनक बताते हुए कहा कि वह राम और कृष्ण कथा के आविष्कर्ता हैं जबकि वेदव्यास जी पुरस्कर्ता है और सूरदास जी व तुलसीदास जी परिष्कर्ता हैं।