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आज 28 अक्टूबर को लग रहे चंद्र ग्रहण पर दान का है विशेष महत्व।

श्विन मास की पूर्णिमा तिथि पर शनिवार 28 अक्टूबर 2023 की मध्यरात्रि में 01:05 से 02 बजकर 24 मिनट तक खण्डग्रास चंद्र ग्रहण का प्रभाव रहेगा। इस दिन चंद्रमा मेष राशि व अश्विनी नक्षत्र में संचरण करेंगे। साल के इस दूसरे व अंतिम चंद्र ग्रहण को भारत सहित अन्य देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफ़गानिस्तान,अफ्रीका,पश्चिमी प्रशांत महासागर,दक्षिणी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, एशिया में देखा जा सकेगा। भारत में इस ग्रहण की अवधि 01 घन्टा 19 मिनट तक है।

सूतक काल– भारत में भी इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव रहने के कारण सूतक काल मान्य होगा। धार्मिक ग्रन्थों व शास्त्रों के अनुसार ग्रहण से लगभग 09 घंटे पूर्व सूतक काल प्रभावी हो जाता है। इसलिये इस दिन भारत में सूतक काल का आरंभ शाम 04 बजकर 05 मिनट से शुरू होगा। इस समय मन्दिर के कपाट भी बंद हो जायेंगे एवं घर में स्थित पूजा स्थल पर भी किसी भी प्रकार का कोई धार्मिक कार्य नहीं करना चाहिए।

सूतक काल से चंद्र ग्रहण तक कौन से कार्य रहेंगे वर्जित– सूतक काल से ग्रहण की समाप्ति तक भोजन पकाना व खाना, ईश्वर आराधना करना, ईश्वर को स्पर्श करना, सिलाई बुनाई करना, नाखून व बाल काटना, नया सामान खरीदना, कोई मांगलिक कार्य करना, नये कपड़े पहनना आदि काम करने निषेध माने गये हैं तथा चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर उनके गर्भ को भी हानि पहुंचने की सम्भावना बनी रहती है। अत: ग्रहण काल में गर्भवती स्त्री को अपना विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए एवं इस समय केवल गर्भवती महिलाओं, रोगी,वृद्धों को समय पर भोजन, दवाई लेने पर कोई दोष नहीं लगता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ग्रहण काल में ईश्वर व समस्त प्रकृति को कष्ट मिलता है। अत: पूजा स्थल में भगवान के पास तुलसी दल अवश्य रखें एवं घर में जो भी भोज्य पदार्थ पहले से तैयार किये गये हैं उनमें भी तुलसी पत्र डाल कर रखें।

इस दिन पूर्णिमा व्रत का परायण कब करें– जो लोग कल 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का व्रत रखेंगे उन्हें सूतक काल से पूर्व ही व्रत का परायण कर लेना उचित रहेगा एवं उन्हें सूतक से पूर्व ही पूर्णिमा व्रत सम्बंधित सभी प्रकार की धार्मिक क्रियाएँ पूर्ण कर लेनी चाहिए जिससे कि उन्हें किसी भी प्रकार की कोई अशुभ फल की प्राप्ति नहीं होगी एवं उनका व्रत भी पूर्ण समझा जायेगा। श्री सत्यनारायण भगवान की कथा व पूजन का दिन में ही समापन कर लेना उत्तम रहेगा। चन्द्रमा मन के कारक ग्रह हैं,ऐसी स्थिति में घर में मंत्र का जाप,अपने इष्ट देवी देवता का स्मरण करते रहना चाहिए।जिससे घर के वातावरण में नकारात्मक प्रभाव में वृद्धि ना हो एवं आपके मन में भी ईश्वर का वास रहने से अशुद्ध विचारों का प्रवाह ना हो। जिन लोगों की कुंडली में चन्द्रमा मेष, कर्क, वृश्चिक, मकर, कुम्भ, मीन राशि में हैं या जिनकी उपरोक्त लग्न हैं एवं जिन पर साढ़े साती, ढैय्या व चन्द्रमा की महादशा का प्रभाव है उन्हें तो विशेषतः इस दिन चन्द्रमा सम्बन्धी मन्त्र जाप, पूजा,दान अनिवार्य रूप से करना चाहिए।

ग्रहण की समाप्ति के बाद क्या करें— विरल छाया निर्गम का समय सुबह 03 बजकर 56 मिनट पर होगा। इस समय घर की साफ सफाई करना आरंभ कर सकते हैं। गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करने के बाद समस्त घर में भी गंगाजल से शुद्धीकरण करें, पूजा घर की शुद्धि करके ईश्वर को भी गंगाजल से स्नान करायें,भगवान के वस्त्र बदलें एवं पूजा पाठ के बाद उन्हें भोग अर्पित करें।

इस दिन दान कर्म का है विशेष महत्व— चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद सफेद रंग की वस्तुयें दान में देना विशेष रूप से शुभ माना गया है। ग्रहण की समाप्ति के बाद किसी निर्धन व्यक्ति को दूध, चावल, दही, सफेद मिठाई, सफेद वस्त्र आदि उपयोगी वस्तुएं दान स्वरुप देनी चाहिए।

~ अशनिका शर्मा ( ज्योतिर्विद् )

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