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राजस्व मामलों में लापरवाही के कारण 12 जिलाधिकारियों से मांगा गया स्पष्टीकरण, 5 एसडीएम को चेतावनी

मुख्यमंत्री योगी को समीक्षा बैठक में 12 जिलों के डीएम का राजस्व मामलों के निस्तारण में सबसे खराब परफॉर्मेंस मिला। वहीं, जमीन पैमाइश के मामले में हीला-हवाली बरतने वाले 5 एसडीएम को चेतावनी जारी की गई है।

सौरभ शुक्ला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व संबंधी मामलों में लापरवाही बरतने के लिए राज्य के 12 जिलाधिकारियों (डीएम) से स्पष्टीकरण मांगा है। एक आधिकारिक बयान में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई। बयान के मुताबिक, 31 अक्टूबर को राजस्व परिषद की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में कुल राजस्व वादों, पैमाइश, नामांतरण आदि के निस्तारण में खराब प्रदर्शन करने वाले 12 जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है, वहीं उपजिलाधिकारियों को चेतावनी और तहसीलदारों को प्रतिकूल प्रविष्टि भेजी गई है। राजस्व परिषद के अपर मुख्य सचिव सुधीर गर्ग द्वारा जारी बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में राजस्व मामलों के त्वरित निस्तारण को विशेष महत्व दिया है।

बयान के मुताबिक, कई बार राजस्व विवाद कानून-व्यवस्था के लिए चुनौतियां बन जाते हैं। ऐसे में प्रदेश के 2941 राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों के त्वरित और समयबद्ध निस्तारण के लिए मुख्यमंत्री की ओर से दो माह का विशेष अभियान चलाए जाने का निर्देश दिया गया है। बयान में बताया गया कि लंबित राजस्व मामलों के निपटारे की समीक्षा मुख्यमंत्री के स्तर पर हर 15 दिन में की जा रही है। खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की सख्त हिदायत दी गई है।

मुख्यमंत्री योगी की समीक्षा बैठक के दौरान रायबरेली, प्रतापगढ़, सोनभद्र, अयोध्या और संत रविदास नगर के डीएम से स्पष्टीकरण मांगा गया है. साथ ही और भी कई अधिकारियों के पेंच कसे गए हैं। गौरतलब है कि देवरिया की घटना के बाद शासन स्तर पर हर 15 दिन में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक शुरू की गई है. इस बैठक में प्रदेश भर के 2941 राजस्व न्यायालय में लंबित मामलों के दो माह में निस्तारण के आदेश दिए गए हैं। वहीं, 31 अक्टूबर को हुई समीक्षा के बाद जमीनी विवाद के निस्तारण में खराब परफॉर्मेंस करने वाले जिलों के डीएम से स्पष्टीकरण मांगा गया और एसडीएम को चेतावनी जारी की गई।

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