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दीपावली पूजन : क्यों की जाती है सबसे पहले हनुमान जी की पूजा? जानिये दीपावली पूजन का सम्पूर्ण विधि विधान।

रावण से युद्ध जीतकर जब भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या आ रहे थे, तो श्रीराम ने हनुमान जी को अपने अयोध्या आगमन का संदेश देकर भेजा था।
इसलिए अयोध्या वासियों ने हनुमान जी के स्वागत में सबसे पहले उनकी ही पूजा की थी। तब से लेकर हर वर्ष दीपावली पर दोपहर 12 बजे से पहले हनुमान जी की सर्वप्रथम पूजा करने का विधान है।

आईये जाने पूजा कैसे करें-
नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान कर लें, उसके बाद पूजा स्थान में एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति रख लें। सबसे पहले हाथ में जल,पुष्प लेकर आचमन करें। इसके बाद अनामिका उंगली से हनुमान जी को लाल रोली से तिलक लगाएं, फूलमाला आदि अर्पित करें,चमेली के तेल का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा पढ़ें,हनुमान जी की आरती करें एवं पूजा समाप्ति पर भोग में मीठा चुरमा जिसे रोट भी कहते हैं,बूंदी के लड्डू या फिर गुड़ चना,केले आदि का भोग लगा सकते हैं।

दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त– दीपावली पूजन मुहूर्त सायं 05 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर साय 07: 35 मिनट तक रहेगा। पूजन की अवधि 1 घंटा 56 मिनट रहेगी। दीपावली पूजन प्रदोष काल में सायं 05: 29 से 08: 08 तक रहेगा और वृषभ काल सायं 05:39 से 7: 35 तक रहेगा।

कैसे करे दीपावली पर पूजन– घर के ईशान कोण में या उत्तर व पूर्व दिशा में साफ सफाई करें और स्वास्तिक बनाएं। अब उस स्थान पर लकड़ी का पाट रखें व उस पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर चावल की ढेरी पर कलश स्थापना करें व कलश पर नारियल रखें तथा पाटे पर श्री गणेश, माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती और कुबेर भगवान की प्रतिमा भी साथ में स्थापित करें।
क्या क्या होना चाहिए दीपावली पर पूजन सामग्री में– पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। पंचदेवों में- सूर्यदेव,श्रीगणेश,दुर्गा,शिव और विष्णु भगवान शामिल होते हैं। इसके बाद धूप,दीप व देसी घी का दीपक जलायें। सभी मूर्ति और तस्वीरों पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें, एक थाली में नवग्रह भी बनायें। कुशा के आसन पर बैठकर गणेश जी के मंत्रों से पूजा आरम्भ करें फिर माता लक्ष्मी की षोडशोपचार से पूजा करें। अर्थात 16 क्रियाओं से पूजा करें। पाद्य,अर्घ्य,आचमन,स्नान,वस्त्र,आभूषण,गंध,पुष्प,सुपारी,धूप,दीप,पान,नेवैद्य,आचमन,ताम्बुल,स्तवपाठ,दक्षिणा,तर्पण और नमस्कार करें। फिर माता सरस्वती, कुबेर आदि का पूजन करें। पूजन के अंत में सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ानी चाहिए। गणेशजी,लक्ष्मी सहित सभी के मस्तक पर हल्दी,कुमकुम,चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें कमल का फूल चढ़ाएं। पूजन में अनामिका उंगली से चंदन,कुमकुम,हल्दी आदि लगानी चाहिए। इसी तरह उपरोक्त षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा करें और मंत्र बोलते रहे। मंत्र इस प्रकार है– ।।ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।। ।।ॐ महालक्ष्म्यै नमो नम: धनप्रदायै नमो नम:‍ विश्‍वजनन्यै नमो नम:।।
पूजा करने के बाद सभी देवी देवताओं को भोग चढ़ाएं। प्रत्येक भोग में, मिष्ठान फल,जल आदि में तुलसी दल रखा हो। इस दिन लक्ष्मीजी को मखाना,सिंघाड़ा,बताशे, ईख,हलुआ,खीर,अनार,पान,सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न,केसर-भात,पंच मेवा और पांच मिष्ठान व पंचामृत बनाकर भोग अर्पित करे। घर में बने पकवान का भोग लगाएँ।
पूजा में लक्ष्मी गणेश सरस्वती जी का एक कैलेंडर लगाएं उस पर पान का पत्ता इस प्रकार लगाए कि माता लक्ष्मी जी के मुकुट के ऊपर उसकी चोंच हो,पत्ते के मध्य में आटे से चांदी का सिक्का भी चिपका दें। अंत में घी की धारा पान के पत्ते के ऊपर से ऐसे बहाए कि माता लक्ष्मी जी के चेहरे से सीधा नीचे तक कटोरी में आ जाए। पूजा में मिट्टी की कोठरी भी रखें। उसमे घर के सभी लोग खील,बताशे, मिठाई एवं रुपये भरें। बाद में यह सब आपके घर की मान स्वरूप बेटी को दिया जाता है। पूजा का समापन आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर किया जाता है। पूजा में भगवान श्री गणेशजी, माँ लक्ष्मीजी तथा भगवान श्रीराम, श्री विष्णु एवं हनुमान जी की आरती करें।
अंत में यह श्लोक बोलें– “कर्पूर गौरम करुणावतारम का श्लोक बोलें। आरती को सबसे पहले अपने आराध्य के चरणों की तरफ चार बार,इसके बाद नाभि की तरफ दो बार और अंत में एक बार मुख की तरफ घुमाएं। ऐसा कुल सात बार करें।मुख्‍य पूजा के बाद अब घर के मुख्य द्वार, आंगन में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का एवं कुल मिलाकर 24 दिए जलाएं। घर की हर दिशा में दीयें जलाएं।
आरती के बाद हमेशा दोनों हाथ से प्रसाद ग्रहण करें। पूजा के बाद अपने आसन के नीचे दो बूंद जल डालें और उसे माथे पर लगाकर पूजा से तभी उठना चाहिए अन्यथा आपकी पूजा का फल देवराज इंद्र को चला जाता है। अंत में पूजा में हुई भूलचूक के लिए भगवान से क्षमा प्रार्थना करें।

~ अशनिका शर्मा ( ज्योतिर्विद् )

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