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हाई कोर्ट ने दस साल पुराना ‘पकड़ौआ विवाह, किया रद्द; जानिए क्या है पकड़ौआ विवाह?

पटना हाईकोर्ट ने दस साल पुरानी एक शादी को रद्द कर दिया है। दरअसल, इस मामले में लड़के का इलज़ाम था कि उसे अगवा कर जबरन उसकी शादी एक महिला से करा दी गई थी। ये मामला लखीसराय ज़िले के चौकी गांव का था जहां नवादा के रेवरा गांव के एक लड़के को अगवा कर उसकी जबरन शादी करा दी गई थी।

संगम झा

पटना। बिहार के फेमस पकड़ौआ विवाह का इतिहास बहुत पुराना है। इस विवाह में लड़की वाले, लड़के को अगवा कर जबरन उसकी शादी अपनी लड़की से करा देते हैं। ऐसा ही मामले में अपना फैसला देते हुए पटना हाईकोर्ट ने दस साल बाद एक शादी को रद्द कर दिया है।

दरअसल, ये मामला बिहार के नवादा का है, जहां दो परिवारों के बीच लगभग दस साल से कानूनी लड़ाई चल रही थी। युवक परिवार वालों का आरोप था कि लड़की वालों ने उनके बेटे को बंदूक दिखाकर अगवा कर लिया था और अपनी बेटी से जबरन शादी करा दी थी. ये घटना 30 जून 2013 की है. उस वक़्त युवक की सेना में नई नौकरी लगी थी. युवके ने और उसके परिवार ने कभी इस शादी को कबूल नहीं किया. नौजवान के पिता का कहना है कि उनपर रिश्तेदारों ने भी इस रिश्ते को अपना लेने का बहुत दबाव बनाया था, लेकिन जबरन मांग में सिंदूर भरवा देने से शादी नहीं हो जाती है. वहीं, लड़की और लड़की के परिवार वालों का कहना है कि य एक प्रेम विवाह था और हाई कोर्ट का ये फैसला बिल्कुल गलत है और अब वो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।

क्या है बिहार का पकड़ौआ विवाह?

पकड़वा या पकड़ौआ विवाह ऐसी शादी होती है, जिसमें लड़के को अगवा कर जबरन उसकी शादी करवा दी जाती है। ऐसी शादी उत्तर बिहार में ज़्यादा देखने को मिलती थी. अस्सी के दशक में बिहार में ऐसी शादी के बहुत से मामले देखने को मिलते थे। इसके लिए गांव में एक पूरा गिरोह होता था, जो लड़कों का अगवा कर लेता था। यहां तक की उस समय में नौकरी कर रहे लड़कों को शादी के सीज़न में घर से बाहर निकलने में ख़ास सावधानी रखने की सलाह दी जाती थी। बिहार पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक़ बिहार में हर साल जबरन शादी के क़रीब तीन से चार हज़ार मामले दर्ज़ होते ही हैं।

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