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संसद सदस्यता गंवाने के बाद भड़कीं महुआ मोइत्रा, कहा- ‘कमेटी ने नहीं की ठीक से जांच’

महुआ मोइत्रा ने कहा कि आचार समिति मुझे उस बात के लिए दंडित कर रही है, जो लोकसभा में सामान्य, स्वीकृत है तथा जिसे प्रोत्साहित किया गया है।

समय टुडे डेस्क।

‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के मामले में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने महुआ मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। संसद सदसस्यता गंवाने के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा कि लोकसभा की आचार समिति ने मामले की ठीक से जांच नहीं की। उन्होंने कहा कि लोकसभा की आचार समिति, इसकी रिपोर्ट ने सभी नियमों को तोड़ा, यह हमें झुकने के लिए मजबूर करने का एक हथियार है।

‘दो व्यक्तियों की गवाही पर सजा’
उन्होंने कहा कि मुझे उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है. महुआ ने कहा कि आचार समिति मुझे उस बात के लिए दंडित कर रही है, जो लोकसभा में सामान्य, स्वीकृत है तथा जिसे प्रोत्साहित किया गया है। आचार समिति के निष्कर्ष पूरी तरह से दो व्यक्तियों की लिखित गवाही पर आधारित हैं, जिनके कथन असल में एक-दूसरे के विरोधाभासी हैं. उन्होंने कहा कि दो शिकायतकर्ताओं में से एक मेरा पूर्व प्रेमी, जो गलत इरादे से आचार समिति के सामने आम नागरिक के रूप में पेश हुआ।

महुआ ने कहा कि नकदी या उपहार का कोई सबूत नहीं है। आचार समिति ने मुद्दे की जड़ तक पहुंचे बिना मुझे दोषी ठहराने का फैसला किया. महुआ मोइत्रा ने लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित किए जाने के बाद कहा। सांसद आम जनता के सवालों को संसद तक पहुंचाने में सेतु की भूमिका निभाते हैं, ‘कंगारू अदालत (अवैध अदालत)’ ने बिना सबूत के मुझे सजा दी. मेरे खिलाफ पूरा मामला लॉगिन विवरण साझा करने पर आधारित है, लेकिन इस पहलू के लिए कोई नियम तय नहीं है।

BJP सांसद की शिकायत पर कार्रवाई
मालूम हो कि BJP सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने बीते 9 नवंबर को अपनी एक बैठक में मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था। समिति के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं। समिति के 4 विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार देते हुए कहा था कि BJP सांसद निशिकांत दुबे की जिस शिकायत पर समिति ने विचार किया, उसके समर्थन में ‘सबूत का एक टुकड़ा’ भी नहीं था।

(इनपुट: ANI)

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