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रामलला की हो रही थी प्राण प्रतिष्ठा, अचानक एक पुजारी ने क्यों ढक लिया था अपना मुंह

समय टुडे डेस्क।

योध्या के मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। लाखों श्रद्धालु भगवान के श्रीविग्रह के दर्शन करने रोजाना पहुंच रहे हैं और रामलला को निहार-निहार कर मोहित हुए जा रहे हैं. भगवान श्रीराम यहां, पांच वर्ष के बालक स्वरूप में गर्भगृह में प्रतिष्ठित हैं, इसलिए उनका शृंगार, भोग और आरती आदि भी उसी बालक स्वरूप में किया जा रहा है। खासतौर पर भोग पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है और उसमें मिष्ठान्न आदि जैसे भोग प्रमुखता से भगवान को लगाए जा रहे हैं. प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भी रामललाल को तरह-तरह के व्यंजनों के भोग लगाए गए थे।

प्राण प्रतिष्ठा का लाइव वीडियो देशभर में देखा गया था और इसी दौरान एक पल ऐसा भी सामने आया कि प्राण प्रतिष्ठा की विधियों के दौरान जब पीएम मोदी पूजन-अर्पण कर रहे थे, इस दौरान मंत्र उच्चारण कर रहे एक आचार्य ने अपना मुख ढंक लिया था। इस दौरान का वीडियो लोगों के सामने है और इसे बार-बार देखा जा रहा है और लोग सवाल भी कर रहे हैं कि आखिर मंत्र उच्चारण कर रहे आचार्य ने अचानक ही अपना मुंह क्यों ढंक लिया. सोशल मीडिया पर यह प्रश्न लोग पूछ रहे हैं और कई इन्फ्लुएंसर अपने-अपने तर्क और जवाब के साथ वीडियो भी बना रहे हैं।

असल में, जब आप प्राण प्रतिष्ठा का लाइव वीडियो देखेंगे तो 52:01 मिनट पर आपको एक खास बात नजर आएगी। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान उडुपी के पेजावर मठ के मठाधीश इसके अनुष्ठान कराने में शामिल रहे थे। अनुष्ठान के विधियां कराते-कराते एक समय ऐसा आया कि जब उन्होंने अपने मुंह को पूरी तरह के कपड़े से ढंक लिया। दरअसल, पूजा विधि के दौरान जब रामलला को नेवैद्य भोग समर्पित किया जा रहा था, तब पेजावर मठ के मठाधीश, स्वामी विश्वप्रसन्ना तीर्थ ने मुंह ढंक लिया था।

दरअसल, उस दौरान जब प्रभु को नेवैद्य लगाया जा रहा था तो उनके मुंह ढंकने के पीछे एक शास्त्रोक्त कारण है। सनातन परंपरा के अनुसार जब नैवैद्य यानि की भोग लगता है तो उस पर किसी भी तरह की दृष्टि नहीं जानी चाहिए. ऐसा इसलिए, क्योंकि भगवान को लगने वाला भोग बहुत ही शुद्ध होना चाहिए। भोग लगाते समय उसे देखकर मन में किसी भी तरीके का लालच न आ जाए जो भोग की पवित्रता के लिए जरूरी है, इसीलिए उन्होंने मुख को ढक लिया था। यही वजह है कि मंदिरों में भोग लगाते समय कपाट भी बंद कर दिया जाता है, या पर्दा कर दिया जाता है।

ये परंपरा माधव संप्रदाय के मंदिरों-मठों और इसके अनुयायी संतों के द्वारा पालन करते हुए अधिकतर दिखायी देती है. हालांकि देश के लगभग हर मंदिर में जब भी भोग लगाया जाता है तो उस दौरान कपाट बंद होते हैं या पर्दा गिराया जाता है. मथुरा के श्रीकृष्ण मंदिर, बिहारी जी मंदिर में श्रद्धालुओं ने ऐसी परंपराएं देखी हैं, जहां भोग अर्पण करते समय पर्दा गिराया दिया जाता है।

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