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कौन हैं नवाब सिंह यादव? समाजवादी पार्टी ने झाड़ा पल्ला, नाबालिग के रेप का लगा है आरोप

सपा के कन्नौज जिला अध्यक्ष कलीम खान ने कहा कि वह किसी भी तरह से समाजवादी पार्टी का सदस्य नहीं है। वह करीब पांच साल से पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल था।

अखिलेश कुमार

लखनऊ /कन्नौज। कन्नौज में समाजवादी पार्टी के नेता नवाब सिंह यादव अचानक से सुर्खियों में आ गए, जब उन्हें रात के समय पुलिस ने नाबालिग लड़की के साथ रेप के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया। डायल 112 पर मिली सूचना के बाद कॉलेज के रूम में पहुंचकर पुलिस ने नवाब को धर दबोचा। उस समय वह अंडरवियर पहनकर लेटे हुए थे। भाजपा ने इस घटना को लेकर सपा के चरित्र पर निशाना साधा है। लेकिन आखिर यह नवाब हैं कौन, जिन्हें सपा के राज में कन्नौज का ‘मिनी सीएम’ कहा जाता था। 25 साल से अखिलेश यादव के साथ साए की तरह रहे नवाब सिंह कन्नौज में डिंपल यादव के सांसद कार्यकाल में राइट हैंड भी रहे हैं।

नवाब सिंह यादव कन्नौज जिले के कटरी के अंडगापुर गावं से संबंध रखता हैं। राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से ही की। साल 1997 में वह सपा के छात्र संगठन लोहिया वाहिनी के साथ में आया। पार्टी ने उन्हें उस समय लोहिया वाहिनी का जिलाध्यक्ष भी बना दिया था। सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने साल 1999 में पहली बार अपना चुनाव कन्नौज से ही लड़ा। इसके बाद नवाब उनके संपर्क में आया।

2006 में ब्लॉक प्रमुख बना नवाब सिंह
लोहिया वाहिनी का जिलाध्यक्ष होने के नाते उन्होंने जमीनी स्तर पर अपनी काफी अहम भूमिका निभाई। 2006 में नवाब सिंह ब्लॉक प्रमुख के तौर पर चुने गए। जब 2007 में मायावती सीएम की कुर्सी पर काबिज हुईं तो नवाब के खिलाफ कई सारे केस दर्ज किए गए। 2012 में जब अखिलेश यादव ने सीएम की कुर्सी संभाली तो नवाब का राज शुरू हो गया था।

साल 2012 में डिंपल यादव सांसद चुनी गईं थी। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने अपने प्रत्याशियों को खड़ा ही नहीं किया था। बीजेपी के उम्मीदवार आखिर तक अपना नॉमिनेशन फाइल नहीं कर पाए थे। नवाब सिंह की उस समय भी काफी अहम भूमिका मानी गई थी। नवाब साल 2022 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन अखिलेश यादव ने उसे टिकट ही नहीं दिया।

कभी था दबदबा, अब सपा ने बना रखी थी दूरी
नवाब सिंह यादव को जानने वाले लोग उन्हें सपा का कद्दावर नेता और पार्टी मुखिया अखिलेश यादव का करीबी ही मानते रहे हैं। सपा शासन के दौरान सत्ता के गलियारों में नवाब सिंह यादव की काफी धमक थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान तिर्वा विधानसभा सीट से टिकट की मांग पूरी नहीं होने पर खेमेबंदी शुरू हो गई। दोनों पक्ष में खटास तब और बढ़ गई, जब वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से डिंपल यादव चुनाव हार गईं। तब अंदरखाने नवाब सिंह यादव पर ही ठीकरा फोड़ा गया था।

उसके बाद से सपा ने पूरी तरह से दूरी बना रखी थी। हालांकि नवाब सिंह यादव अपनी ओर से किए जाने वाले धरना-प्रर्दशन को सपा से ही जोड़ कर देखा जाता रहा है। सियासी चर्चाओं के मुताबिक वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान जब खुद अखिलेश यादव ने यहां से दावेदारी की तो नवाब सिंह यादव ने उनके लिए प्रचार किया था। पिछले महीने 25 जुलाई को नवाब सिंह की मां का निधन हो गया तो अखिलेश यादव ने उस पर दुख जताया था। वहीं, इस प्रकरण के बाद पार्टी ने पूरी तरह से नवाब से पल्ला झाड़ लिया है।

नवाब सिंह के खिलाफ दर्ज मुकदमे
1-शहर कोतवाली वर्ष 2004 धारा 147, 148, 149, 336, 352, 395, 397, 427, 504, 506।
2-शहर कोतवाली वर्ष 2007 धारा 188।
3-शहर कोतवाली वर्ष 2008 धारा 188, 419, 501।
4-शहर कोतवाली वर्ष 2008 धारा 147, 149, 307, 336, 366, 504, 506 भादवि व 7 सीएलए एक्ट।
5-शहर कोतवाली वर्ष 2009 धारा 03 गुंडा अधिनियम।
6-शहर कोतवाली वर्ष 2009 धारा 147, 336, 504, 506।
7- शहर कोतवाली वर्ष 2009 धारा तीन, 10 गुंडा अधिनियम।
8-शहर कोतवाली वर्ष 2010 धारा तीन गुंडा अधिनियम।
9- शहर कोतवाली वर्ष 2020 धारा 188, 269, 270, 332, 353 व धारा तीन महामारी एक्ट।
10- शहर कोतवाली वर्ष 2020 धारा 188, 269, 270 भादवि व 3 महामारी एक्ट
11-शहर कोतवाली वर्ष 2020 धारा 147, 149, 323, 336, 427, 504, 506।
12-तिर्वा कोतवाली वर्ष 2020 धारा 188, 269, 270 भादवि व तीन महामारी एक्ट।
13-तिर्वा कोतवाली वर्ष 2020 धारा 147, 336, 341।
14-शहर कोतवाली वर्ष 2021 धारा 308, 323, 504, 506।
15-शहर कोतवाली वर्ष 2022 धारा 323, 342, 420, 504, 506।
16- शहर कोतवाली वर्ष 2024 धारा 76 भारतीय न्याय संहिता व सात, आठ पाॅक्सो एक्ट।
( अभी तक की जानकारी के अनुसार )

समाजवादी पार्टी ने झाड़ा पल्ला
नवाब सिंह यादव पर नाबालिग लड़की से रेप का आरोप लगने के बाद में उसे अरेस्ट किया गया है। अब उसके साथ संबंध पर समाजवादी पार्टी ने भी अपना पल्ला झाड़ लिया है। सपा के कन्नौज जिला अध्यक्ष कलीम खान ने कहा कि वह किसी भी तरह से समाजवादी पार्टी का सदस्य नहीं है। वह करीब पांच साल से पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल था औ वह पार्टी का सक्रिय सदस्य नहीं है।

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