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मुुश्किल घडियों में गाहे बगाहे, हिम्मत से जुटे रहने का ……..

मुुश्किल घडियों में
गाहे बगाहे
हिम्मत से जुटे रहने का
भरोसा दिलाना उसका,
पग पग
चुनौतियों के
घने बादलों के बीच से
सितारों सा
टिमटिमाना उसका,
कभी जीवन के
सबसे सुनहरे सपने के
आलिंगन से
मन मानस सजाना उसका,
कौन कहता है गुनाह है ये?
पल पल दूरी को मापकर
उम्मीद के पखेरू
घटाना बढाना उसका,
दूर देश के पंछी सा
खुशगवार मौसम में
झील के किनारे
बस जाना उसका,
जाने का वक्त भी
निश्चित है
फिर भी पलट
अमराई को भीगे नयन
निहारना उसका,
जब देखूं
तो मन डोले
तन महके जूही सा जब
याद करूँ
मिल जाना उसका।

~ डॉ. मेघना शर्मा

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