STORY / ARTICLE

गाथा है ये संकल्पों की, प्राणों के मात्र विकल्पों की ………..

गाथा है ये संकल्पों की

प्राणों के मात्र विकल्पों की

बलिदानों की,अभिमानों की

आज़ादी के दीवानों की

जलती जौहर की ज्वाला की

राणा के गरजते भाला की

उस वीर शिवा क्षत्राया की

बाणों से छलनी काया की

मैं दूंगी नहीं अपनी झांसी

ऐसी रानी मर्दानी की

वो देवी अहिल्या , चिन्नमा

गाथा दुर्गावती रानी की

इक भगत सिंह मतवाले की

आज़ाद वो हिम्मत वाले की

फाँसी के फंदे चूम चले

सुख, राजगुरु दिलवाले की

सत्तावन की चिंगारी की

आजाद हिंद जयकारी की

हृदयों में धधकती ज्वाला की

और चीखें जलियावाला की

आज़ादी खून मांगती है

ऐसे सुभाष जननायक की

जय होय सदा इस भारत की

जय होय सदा अधिनायक की

तेरी शान सदा ही अमर रहे

मां गौरव तेरा अमर रहे

गाथा है ये मस्तानों की

आज़ादी के दीवानों की।

~ प्राची मिश्रा

Related Articles

Back to top button