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भारत माँ के वीर सपूतों ,शत-शत तुमको नमन है मेरा ………

भारत माँ के वीर सपूतों
शत-शत तुमको नमन है मेरा
कभी चुका न पाएंगे हम
भारतवासी ऋण ये तेरा,

ह्रदय विदारक घटनाओं से
द्रवित हो उठा ह्रदय मेरा
जब भी देखती हूँ भारत माँ के
शहीद वीर सपूतों का चेहरा
देते हो दिन रात बचाने को
धरती माँ पर तुम सदा पहरा
फिर भी छुपकर कर देता है
दुश्मन क्यों आघात गहरा
जब भी देखते हो धरती माँ पर
मंडराता तुम कोई खतरा
भारत माँ के लाल बहा देते हैं
लहू का कतरा-कतरा
जब भी दुश्मन ने ललकार
जंग के मैदा में तुमने घेरा
देकर के बलिदान सदा दिया
भारत को इक नया सवेरा
नहीं देख सकती हूँ कभी मैं
ढका कफ़न से तेरा चेहरा
कभी चुका न पाएंगे हम
भारतवासी ऋण ये तेरा!

सुन ले ओ दुश्मन की सेना
घमंड कभी किसी का रहे न
जो ललकारे भारत माँ को
को तो भारतवासी ये कभी सहे न
जब-जब तुम धरती माँ पर
जो हमला करने आओगे
मारोगे अगर मेरा एक वीर
सौ तुम भी मारे जाओगे
ये भी जान लो जो फंस गए तुम
जो मेरे किसी जवान के चंगुल में
तो फिर अंत तुम्हारा निश्चित है
मेरे देश की सेना के दंगल में
प्रेम की भाषा समझाती हूँ
गर जो समझ तुम पाओगे
मिलजुलकर सब रहो हमेशा
अंत भला क्या पाओगे
गर शहीद हो मेरा लाल तो
तुम भी तो जान गवांओगे
सोचा है फिर मिलेगा क्या
और अंत में सब पछताओगे
प्रेम एकता भाई चारे का
जो संदेश अपनाओगे
मिलेगा कुछ सुकून फिर हमको
और चैन से तुम भी सो पाओगे
धरती माँ है भारत देश की
हिंदुस्तान है पिता मेरा
कभी चुका न पाएंगे हम
भारतवासी ऋण ये तेरा!

रहे एकता देश में हरदम
इक बस ये दिल की दुआ है मेरी
रहे सलामत धरती माँ और
भारत माँ की शान मेरी
ये देश है वीर जवानों का
अलबेलों का मस्तानों का
क्या और लिखूं इस धरती पर
हिंदुस्तान के गुलिस्तानों का
शब्द ही कम पड़ जाएंगे
मेरी सेना के गुणगानों का
यही गुलिस्तां हिंदुस्तानी
यही हिन्द ओ चमन है मेरा
कभी चुका न पाएंगे हम
भारत वासी ऋण ये तेरा!

~ सोनल उमाकांत बादल

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