STORY / ARTICLE

जब रणभेदी टंकार बजे, घर-घर से हुंकार उठे

ब रणभेदी टंकार बजे
घर घर से हुंकार उठे
विजयभाल पे खूब सजे
और जय जय गूंज उठे

नई सुबह का सूरज निकले
उत्सव का उपहार लिए
मंदिर में घड़ियाल बजे
जय जय जय गुंजार उठे

वीरों की देहरी देहरी श्रद्धा के फूल चढ़े
नतमस्तक उन चरणों में जिनके लालों के शीश चढ़े
सूर्य शिखर पर देखो यह भारत के लाल खड़े
सारा भूमंडल जय जय जयकार उठे

नन्हें _नन्हें वीरों के मन में उल्लास जगे
धर्म ध्वजा लेकर बच्चा बच्चा ललकार उठे
जय जय से सारा भूमंडल गूंज उठे

अंतस के सारे घांव ढके
सात जन्म का मान बढ़े
सौर्यचूनर माथे से ओढ़े
बहुएँ जय जय बोल उठे

~ ममता सिंह राठौर
कानपुर

Related Articles

Back to top button