Astrology

वास्तु दोष जीवन में आने वाली अस्थिरता की ओर संकेत देते हैं …….

ज के समय में हर व्यक्ति किसी ना किसी तरह की समस्या का सामना कर रहा है। किसी के पारिवारिक जीवन में विवाद की स्थिति चल रही है, मुकदमे चल रहे हैं, वैवाहिक जीवन उथल-पुथल से भरा है, किसी को आर्थिक रूप से परेशानी है, ऋण की स्थिति बनी हुई है, कोई अच्छी शिक्षा होते हुये भी एक नौकरी पाने के लिए तरस रहा है, बार बार नौकरी में परिवर्तन होना, या फिर अपना श्रेष्ठ देने के बाद भी नौकरी में कोई पदोन्नति नहीं हो पा रही है, घर के सदस्यों को लम्बे समय तक बीमारी रहना, तो कोई व्यक्ति व्यापार में लम्बे समय से हानि ही उठाता आ रहा है।

कहने का अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति इन सभी परिस्तिथियों को लम्बे समय से झेल रहा है तो यह मानना चाहिए कि कहीं ना कहीं किसी विशेष ग्रह स्थिति होने के कारण जीवन में ऐसा प्रतिकूल प्रभाव मिल रहा है। ज्योतिषीय आधार पर किसी व्यक्ति की कुंडली की गणना किये जाने पर यह संकेत मिलता भी है कि उस व्यक्ति की ग्रह दशा आदि उसे लम्बे समय से दुष्प्रभाव देती आ रही है और अपने कार्यक्षेत्र में अथाह मेहनत, दिन रात संघर्ष करने के बावजूद भी उसके हाथ केवल असफलता ही लग रही है।

इसके अतिरिक्त जीवन में निरंतर चल रही अवनति होते रहने का एक अन्य मुख्य कारण भी है जो किसी भी व्यक्ति के घर में उत्पन्न हो सकता है वह है वास्तु दोष!
जी हाँ, कई बार व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की अवस्था एकदम उत्तम होती हैं, दशा महादशा आदि भी बेहतरीन परिणाम देने वाली चल रही होती हैं, लेकिन फिर भी उसे वह शुभ परिणाम नहीं मिल रहे होते हैं जिनके लिए वह रात दिन एक करके मेहनत करता रहता है।

घर में, व्यापारिक केंद्र आदि स्थल पर उत्पन्न वास्तु दोष के कारण मेहनत के अनुसार मिलने वाली प्रगति और लाभ रुक जाता है और व्यक्ति ऐसी स्थिति में अपनी इस परेशानी का निवारण करवाने के लिए जब किसी से ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करता है तो उसकी कुंडली में ग्रहों की स्थितियां एकदम अनुकूल बनी हुई होती हैं, लेकिन असल में रुकावटें, परेशानी किसी और कारण से उसके जीवन में आ रही होती हैं।

प्राय: किसी भी व्यक्ति का ध्यान इस ओर शायद ही जाता होगा कि उसके जीवन में आ रही तमाम परेशानियों की असल वजह क्या है?? क्यूंकि हर कोई इतनी गहराई से विचार कर भी नहीं पाता है।

भारत में चारों ओर नगरीकरण, आधुनिक विकास की शुरुआत हो चुकी है। भारतीय लोग अब गाँव से निकल कर शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। क्यूंकि शहरों की ओर पलायन करने की असल वजह उच्च शिक्षा, बेहतर सुख सुविधाएँ और शिक्षित लोगों के लिए रोजगार के अवसर मिलना व आर्थिक रूप से उनकी उन्नति होना भी इसमें मुख्य वजह के रूप में शामिल है।

इसी कारण से आजकल शहरों में जड़ खरीद मकान की बजाय फ्लैट संस्कृति का चलन पिछ्ले कई वर्षों से बहुत बढ़ गया है और यह चलन और अधिक बढ़ेगा, रुकेगा नहीं। जड़ खरीद मकान की तुलना में फ्लैट में सबसे ज्यादा वास्तु दोष उत्पन्न होने के कारण बनते हैं।

वास्तुशास्त्र के अनुसार, फ्लैट में जिस सही दिशा से सूर्य का प्रकाश घर के अंदर आना चाहिए वहां से नहीं आता है, जिस स्थान से जल की निकासी होनी चाहिये वहां से नहीं हो पाती, स्नानघर में नल जहां नहीं लगाये जाने चाहिए उसी स्थान पर लगा दिये जाते हैं, शयनकक्ष में जिस दिशा में बैड का सिरहाना होना चाहिए उस स्थान पर अल्मारी बना दी जाती है, जिस प्रतिबंधित दिशा में मुख्य द्वार या खिड़कियाँ नहीं होनी चाहिये उसी स्थान पर उन्हें बना दिया जाता है। ना ही कमरों, रसोई आदि की दीवारों पर होने वाले रंगों का उचित चुनाव किया जाता है, और ना ही पूजा स्थल के लिए कोई आवश्यक स्थान ही बनाया जाता है।

क्या करें जब फ्लैट या जड़ खरीद मकान में हो वास्तु दोष— सबसे पहले जड़ खरीद मकान के बारे में बताते हैं। जड़ खरीद मकान में यह पूरी तरह से सम्भावना रहती है कि यदि उसके किसी भी भाग में कोई वास्तु दोष उत्पन्न हो रहा है तो उस भाग का पुनर्निर्माण किया जा सकता है। यदि घर काफी छोटा है या पुनर्निर्माण करने के लिए आर्थिक रूप से बोझ पड़ रहा है, तो ऐसी स्थिति में वास्तुशास्त्र के अनुसार रेमेडियल वास्तु के प्रयोग किये जाते हैं अर्थात् दोष युक्त स्थान का वास्तु निरीक्षण करके कुछ ऐसी वस्तुओं को स्थायी रूप से वहां लगा देना जो उस दोष को नष्ट करने में पूरी तरह सक्षम होती हैं।
जहां तक फ्लैट में उत्पन्न हो रहे वास्तु दोष को समाप्त करने का प्रश्न है तो फ्लैट में एक सीमित क्षेत्र होता है जिसमें पुनर्निर्माण की गुंजायश थोड़ी बहुत ही बन पाती है। किसी-किसी फ्लैट का तो क्षेत्रफल इतना कम होता है कि ना के समान ही गुंजायश रहती है। ऐसी स्थिति में केवल रेमेडियल वास्तु के प्रयोग ही सफल साबित होते हैं। रेमेडियल वास्तु का एक अन्य लाभ यह भी है कि यदि कोई व्यक्ति किराये के घर में निवास कर रहा है तो इसे किराये के घर, फ्लैट में भी आसानी से प्रयोग किया जा सकता है और स्थान परिवर्तन करने पर किसी वस्तु को साथ में लेकर जाया जा सकता है। क्यूंकि यह वास्तुशास्त्र के अन्तर्गत एक अस्थायी प्रक्रिया है।

अपने वास्तुशास्त्र के अनुभव के आधार पर लेख के अन्त में केवल यह परामर्श देना उचित होगा कि घर, ऑफिस कहीं पर भी बन रहे वास्तु दोष को अनदेखा कर देना या उसे कमतर समझने की भूल पाठकों को नहीं करनी चाहिए। अपने घर आदि में दोष होने पर वास्तु विशेषज्ञ से ही निरीक्षण कराना चाहिए एवं स्वयं किसी रूप में प्रयोग करने से बचना चाहिए। यदि इसके दोष निवारण के लिए वास्तु विशेषज्ञ के द्वारा निरीक्षण करवाकर उपयुक्त सुधार कार्य किया जाये तो काफी हद तक जीवन में परेशानी से राहत मिल जाती है।

~ ज्योतिर्विद् अशनिका शर्मा

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