STORY / ARTICLE
कुछ गहरा सा लिखना था, प्रेम से ज्यादा क्या लिखूं …..
कुछ गहरा सा लिखना था,
प्रेम से ज्यादा क्या लिखूं।
कुछ मित्रता सा लिखना था,
सुदामा से ज्यादा क्या लिखूं l
कुछ ठहरा सा लिखना था,
पीड़ा से ज़्यादा क्या लिखूं।
कुछ सागर सा लिखना था,
आंसू से ज्यादा क्या लिखूं।
कुछ भगवान सा लिखना था,
माँ से ज्यादा क्या लिखूं l
कुछ जीवन सा लिखना है,
अब तुमसे ज्यादा क्या लिखूं।
~ मंजू अग्निहोत्री
उत्तर प्रदेश