देश व धर्म के लिए हुआ कोई भी बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए, यह पूरे समाज को जोड़ने का माध्यम बनना चाहिए: CM योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री खालसा सृजन दिवस एवं बैसाखी पर्व पर गुरुद्वारा नाका हिण्डोला में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। प्रदेशवासियों को बैसाखी पर्व एवं खालसा सृजन दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं।
सौरभ शुक्ला
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों को बैसाखी पर्व एवं खालसा सृजन दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज व इनके चार साहिबजादों, गुरु तेग बहादुर सिंह जी महाराज, सिख गुरुओं तथा अन्य सिख योद्धाओं ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया। देश व धर्म के लिए हुआ कोई भी बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। यह पूरे समाज को जोड़ने का माध्यम बनना चाहिए। मुख्यमंत्री आज यहां गुरुद्वारा नाका हिण्डोला में खालसा सृजन दिवस एवं बैसाखी पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने श्री गुरुग्रन्थ साहिब के समक्ष मत्था टेका। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन बैसाखी के पावन पर्व पर देश और धर्म की रक्षा के लिए 10वें सिख गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज ने सन् 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। खालसा पंथ की स्थापना करते हुए उन्होंने सन्देश दिया कि ‘सकल जगत में खालसा पंथ गाजे, जगे धर्म हिंदू सकल भंड भाजे’। गुरु साहिब ने इस पवित्र भाव के साथ अपना अभियान आगे बढ़ाया। गुरु गोबिन्द सिंह जी के बारे कहा जाता है कि वह शहीद पिता के पुत्र और शहीद पुत्रों के पिता थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह जी ने पूरे देश के सिखों का आह्वान किया। 01 लाख से अधिक सिख एकत्रित हुए। अपने शिष्यों के सामने गुरु साहिब ने कहा कि देश व धर्म की रक्षा के लिए उन्हें कुछ ऐसे लोग चाहिए, जो अपना बलिदान देने को तैयार हो सकंे। बलिदान के लिए पंच प्यारे तैयार हुए, इनमें लाहौर के दयाराम, दिल्ली के धरमदास, द्वारका के मोहकमचन्द, जगन्नाथपुरी के हिम्मतराय तथा बीदर के साहिब चन्द सम्मिलित थे।उस समय क्रूर शासक औरंगजेब का शासन था। उसने अत्याचार की पराकाष्ठा की। हिन्दुओं पर जजिया कर आरोपित किया। मन्दिरों को क्रूरतापूर्वक तोड़ा गया। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने अपने 01 लाख शिष्यों के साथ इस ज्वलन्त समस्या पर प्रभावी शंखनाद किया। परमात्मा के विशेषजन जो पूर्ण निर्मल हृदय से कार्य कर सकें, उन्हें विकसित कर एक नया जन्म मान करके उस कार्यक्रम को गुरु साहिब ने आगे बढ़ाया। उन्होंने इस अभियान का नाम खालसा रखा। खालसा का अर्थ है परमात्मा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वर्ष इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक ओर गुरु तेगबहादुर जी महाराज का 350वां शहीदी दिवस मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर खालसा पंथ के 325 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। गुरु गोबिन्द सिंह जी के बन्दे दुनिया में जहां कहीं भी हैं, वह अपने जज्बे, संघर्ष तथा शौर्य-पराक्रम से अपना लोहा मनवा रहे हैं। यह गुरु साहिब की ही कृपा है कि सिख जहां कहीं भी रहता है, वह वहां बिना झुके, बिना डिगे अपने पथ पर आगे बढ़ता रहता है। इसलिए वह सरदार भी कहलाता है। आज भी प्रत्येक गुरुद्वारे मंे जाति, धर्म आदि के भेदभाव के बिना लंगर की व्यवस्था की जाती है। यह सैकड़ों वर्षों की विरासत है। आज हम सब खालसा पंथ के 326वें वर्ष मंे प्रवेश कर रहे हैं। हमारी गौरवशाली गुरु परम्परा रही है। यह गुरु परम्परा गुरुनानक देव जी से प्रारम्भ होकर शक्ति के पुंज के रूप में आगे बढ़ते हुए पूरे देश के लिए प्रेरणा का माध्यम बन गई। इसकी मिसाल दुनिया में अन्य कहीं नहीं है। गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज ने पुस्तक ‘विचित्र नाटक’ में अपने वर्तमान व पूर्व जन्मों के बारे में रहस्यों का उद्घाटन किया है। यह हम सबके लिए नई प्रेरणा तथा नया प्रकाश है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु परम्परा के आयोजनों को भव्यता के साथ आगे बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि नई पीढ़ी को प्रेरणा और प्रकाश से जोड़ा जा सके। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन लखनऊ में किया गया। आज देशभर में इस प्रकार के कार्यक्रम हो रहे हैं। गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के चार साहिबजादों की स्मृति में ‘साहिबज़ादा दिवस’ का आयोजन मुख्यमंत्री आवास पर किया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पूरे देश में 26 दिसम्बर की तिथि को वीर बाल दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की। पूरा देश इस आयोजन के साथ जुड़ता है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक एवं कृषि राज्यमंत्रीबलदेव सिंह ओलख ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।