सिगरेट नहीं पीते फिर भी लंग कैंसर? जानिए इसके 6 जिम्मेदार कारण

- समय टुडे डेस्क।
आम धारणा है कि फेफड़ों का कैंसर केवल सिगरेट और तंबाकू लेने वालों को होता है। लेकिन हाल के सालों में कई नॉन-स्मोकर भी लंग कैंसर की चपेट में आ रहे हैं, खासकर शहरों में रहने वाली महिलाएं। विशेषज्ञों के अनुसार, केवल स्मोकिंग ही लंग कैंसर का कारण नहीं है। आइए जानते हैं उन 6 प्रमुख कारणों के बारे में जो नॉन-स्मोकर में भी फेफड़ों के कैंसर का जोखिम बढ़ा रहे हैं।
1. टॉक्सिक पॉल्यूशन
दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ जैसे शहरों में वायु प्रदूषण चरम पर है। गाड़ियों का धुआं और औद्योगिक प्रदूषण लंबे समय तक फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। माइक्रो पार्टिकल और हाइड्रोकार्बन के संपर्क में रहने से फेफड़ों की कोशिकाओं में बदलाव आने लगता है।
2. रसोई का धुआं
शहरी इलाकों में किचन वेंटिलेशन का अभाव है। गैस पर खाना बनाना और तेल को उच्च तापमान पर गर्म करने से निकलने वाला धुआं लंबे समय में लंग कैंसर का खतरा बढ़ाता है। महिलाएं इस वजह से अधिक प्रभावित होती हैं।
3. सेकेंड हैंड स्मोक
घर में पुरुष सदस्य अगर धूम्रपान करते हैं, तो उनका धुआं महिलाओं और बच्चों के फेफड़ों में जाता है। यह सेकेंड हैंड स्मोक बिना सिगरेट का कश लिए भी फेफड़ों में टार जमा कर सकता है और कैंसर का जोखिम दोगुना कर देता है।
4. जेनेटिक कारण
कुछ लोगों में सेल्स म्यूटेशन प्राकृतिक रूप से होता है, जिससे फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यह विशेषकर युवाओं और महिलाओं में देखा जा रहा है।
5. हैवी मेटल और केमिकल का संपर्क
जो लोग एस्बेस्टस, रेडॉन, डीजल और अन्य रसायनों के संपर्क में रहते हैं, खासकर खराब वेंटिलेशन वाले वातावरण में, उनमें लंग कैंसर का खतरा ज्यादा होता है।
6. समय पर पहचान ना होना
कई नॉन-स्मोकर में लंग कैंसर देर से पहचान में आता है। लगातार खांसी और सांस फूलना अक्सर अस्थमा या टीबी समझा जाता है। देर से पता चलने की वजह से कैंसर तीसरे या चौथे स्टेज तक पहुंच सकता है।

लंग कैंसर के शुरुआती लक्षण
यदि आप स्मोक नहीं करते हैं और इन लक्षणों में से कुछ दिखाई दें तो तुरंत कैंसर टेस्ट करवाएं:
- लगातार बिगड़ती खांसी
- खांसी के साथ खून आना
- सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट
- गले की आवाज में बदलाव
- भूख कम लगना और बिना वजह वजन घटना
- थकान और निगलने में परेशानी
- चेहरे या गर्दन में सूजन
- बार-बार निमोनिया या फेफड़े की बीमारी
निष्कर्ष: केवल धूम्रपान करने वालों को ही लंग कैंसर नहीं होता। प्रदूषण, सेकेंड हैंड स्मोक, रसोई का धुआं और जेनेटिक कारण भी इसके जिम्मेदार हैं। इसलिए अगर ऊपर बताए लक्षण दिखें तो समय पर जांच और इलाज कराना जरूरी है।



