मौत का नाम हैं गोरखा सैनिक, CM योगी ने किया बहादुर जवानों का जिक्र


- प्रियंका दूबे
गोरखपुर। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखा सैनिकों की अद्वितीय वीरता का स्मरण करते हुए कहा कि ‘जब ये जवान दुश्मन पर टूट पड़ते हैं, तो विरोधी पीछे हटने को मजबूर हो जाता है।’ फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने भी कहा था, “कोई अगर कहता है कि मौत से डर नहीं लगता, तो या तो वह झूठ बोल रहा है या वो गोरखा है।”

1814-1816 के ब्रिटिश-गोरखा युद्ध में महज 600 गोरखा सैनिकों ने अंग्रेजों की हजारों की सेना को अपनी खुखरी और पत्थरों से चुनौती दी। नालापानी के युद्ध में 800 ब्रिटिश सैनिकों की जान गई और अंततः अंग्रेजों को संधि करनी पड़ी। इसके बाद गोरखा रेजिमेंट (तब नसीरी रेजिमेंट) की स्थापना हुई, जिसका नेतृत्व बलभद्र कुंवर ने किया।
स्वतंत्र भारत में भी गोरखा रेजिमेंट ने विभिन्न मोर्चों पर अद्वितीय योगदान दिया। 1947 में गोरखा सोल्जर पैक्ट के तहत 10 रेजिमेंट्स में से 6 भारतीय सेना में शामिल हुए, जबकि 4 ब्रिटिश सेना में रहे। आज भी गोरखा सैनिक दोनों देशों की सेनाओं में अपनी बहादुरी और साहस के लिए प्रसिद्ध हैं।

आज गोरखपुर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान की गरिमामयी उपस्थिति में गोरखा युद्ध स्मारक के सौंदर्यीकरण और संग्रहालय के शिलान्यास का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मातृभूमि की रक्षा में अपने सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद सैनिकों की वीर नारियों को भी सम्मानित किया गया।
यह स्मारक न केवल आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा, बल्कि भारत और नेपाल के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक संबंधों को भी नया आयाम देगा।



