तीन महीने से बिना मानदेय सेवा दे रहे जूनियर डॉक्टर, CM से की गुहार

- शालिनी शर्मा
लखनऊ। प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में बॉन्ड पर तैनात जूनियर डॉक्टर पिछले तीन महीने से मानदेय न मिलने से परेशान हैं। पहले से ही मेडिकल कॉलेजों की तुलना में कम वेतन और अब लगातार भुगतान में देरी ने इन डॉक्टरों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। मजबूर होकर उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
बॉन्ड प्रणाली की अनिवार्यता
एमबीबीएस पास करने के बाद प्रदेश सरकार की नीति के तहत डॉक्टरों को दो साल तक सरकारी सेवा देनी अनिवार्य है। सेवा न देने पर उन्हें 10 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ता है। हाल ही में चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीएमई) ने 2100 डॉक्टरों की काउंसिलिंग कराई, जिनमें से 438 डॉक्टरों को सीएचसी में तैनात किया गया।
वेतन में असमानता
- मेडिकल कॉलेजों में जूनियर रेजिडेंट को लगभग 63 हजार रुपये और डेमोंस्ट्रेटर को करीब 75 हजार रुपये मिलते हैं।
- वहीं सीएचसी में तैनात डॉक्टरों को जिले के आधार पर सिर्फ 50 से 65 हजार रुपये मानदेय तय है।
- लखनऊ जैसे शहरों में 50 हजार, जबकि सोनभद्र और चित्रकूट जैसे पिछड़े जिलों में 65 हजार तक मिलता है।
डॉक्टरों की व्यथा
सीएचसी में तैनात डॉक्टरों का आरोप है कि वे लगातार सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन पिछले तीन महीने से मानदेय नहीं मिला।
एक डॉक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा—
“हम मरीजों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, ड्यूटी समय पर करनी पड़ती है, लेकिन मानदेय नहीं मिल रहा। किराया, भोजन और रोज़मर्रा के खर्च पूरे करना मुश्किल हो रहा है।”
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द भुगतान नहीं किया गया तो उनके सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा।



