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जूता फेंकने की घटना पर बोले CJI गवई — “मैं स्तब्ध रह गया, अब यह अध्याय समाप्त”

  • नेहा पाठक

नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने गुरुवार को उस घटना पर प्रतिक्रिया दी जिसमें सोमवार को 71 वर्षीय वकील राजेश किशोर ने कोर्ट में उन पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे और उनके साथी न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन इस घटना से स्तब्ध रह गए थे, हालांकि अब यह न्यायालय के लिए एक “भुला दिया गया अध्याय” है।

यह टिप्पणी उस समय सामने आई जब सीजेआई की पीठ एक असंबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण मौजूद थे। सीजेआई की इस टिप्पणी के बाद न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह कोई मज़ाक का विषय नहीं, बल्कि न्यायपालिका जैसी सम्मानित संस्था का अपमान है।

अदालत में मौजूद भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी न्यायमूर्ति भुइयां की बात से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि यह कृत्य अक्षम्य था, लेकिन यह मुख्य न्यायाधीश की उदारता है कि आरोपी व्यक्ति को अदालत ने क्षमा कर दिया।

यह घटना सोमवार को कोर्ट नंबर 1 में हुई थी, जब करीब 70 वर्षीय व्यक्ति सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने पहुंचा और जूता फेंकने का प्रयास किया। बताया गया कि आरोपी सीजेआई की उस टिप्पणी से नाराज़ था, जो हाल ही में खजुराहो के एक मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना संबंधी याचिका की सुनवाई के दौरान की गई थी।

भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा था कि याचिकाकर्ता को मूर्ति की पुनर्स्थापना के लिए भगवान विष्णु से ही प्रार्थना करनी चाहिए। अदालत ने इस पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा था कि यह विवाद एक मंदिर से जुड़ा है जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन एक संरक्षित स्मारक है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार एएसआई के पास है, जो इस पर उचित निर्णय ले सकता है।

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