गाजा संकट के बीच पीएम मोदी को बुलावा, पीस समिट में दिखेगा भारत का रोल?

- नेहा पाठक
नई दिल्ली। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल सिसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाजा शांति समझौते के हस्ताक्षर समारोह में शामिल होने का आमंत्रण भेजा है। यह ऐतिहासिक सम्मेलन मिस्र के शहर शर्म अल शेख में आयोजित किया जाएगा, जो अंतरराष्ट्रीय बैठकों और शांति वार्ताओं के लिए जाना जाता है।
अंतरराष्ट्रीय सहभागिता: इस सम्मेलन में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत लगभग 20 देशों के प्रमुख नेता हिस्सा लेंगे। यह बैठक गाजा पट्टी में लंबे समय से जारी संघर्ष को समाप्त करने और स्थायी समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
भारत का प्रतिनिधित्व: भारत की ओर से विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह इस सम्मेलन में भाग लेंगे और देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में शामिल होंगे या नहीं। भारत हमेशा से इज़रायल और फिलिस्तीन दोनों के साथ मजबूत राजनयिक संबंध बनाए रखता आया है और शांति प्रक्रिया में उसकी भूमिका संतुलनकारी मानी जाती है।
गाजा शांति समझौते की रूपरेखा: यह समझौता इज़रायल और हमास के बीच जारी लंबे संघर्ष को खत्म करने की दिशा में एक प्रयास है। इस संघर्ष में हजारों लोगों की जान जा चुकी है और व्यापक तबाही हुई है। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तुत 20 बिंदुओं की योजना में युद्धविराम, सेना की वापसी, बंधकों की रिहाई और गाजा में स्थायी शांति व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं।
विरोध और चुनौतियां: हालांकि, हमास ने इस प्रस्ताव को “एकतरफा और बेतुका” बताते हुए अस्वीकार कर दिया है। उनका कहना है कि वे हथियार नहीं छोड़ेंगे और गाजा छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी कुछ शर्तें रखी हैं और फिलहाल वे इस समझौते से पूरी तरह सहमत नहीं दिख रहे। ट्रंप का मानना है कि यह योजना मध्य पूर्व में स्थायी शांति लाने का सबसे व्यावहारिक रास्ता हो सकता है, बशर्ते सभी पक्ष सहयोग करें।
भारत की भूमिका: भारत की भागीदारी इस प्रक्रिया में संतुलन और सकारात्मकता का प्रतीक मानी जा सकती है। इसका उद्देश्य केवल कूटनीतिक उपस्थिति नहीं, बल्कि वैश्विक शांति प्रयासों में सक्रिय सहयोग देना भी है।



