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INS विक्रांत पर PM मोदी ने मनाई दिवाली, बोले — भारत बनेगा दुनिया का शीर्ष रक्षा निर्यातक

मोदी ने बताया कि “विक्रांत आज आत्मनिर्भर भारत और मेड इन इंडिया का सशक्त प्रतीक बन चुका है।” उन्होंने गर्व से कहा कि भारत की नौसेना अब स्वदेशी क्षमता के साथ आगे बढ़ रही है — “कुछ महीने पहले विक्रांत के नाम से ही पाकिस्तान की नींद उड़ गई थी।”

  • अखिलेश कुमार

कोच्चि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को स्वदेश निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत पर सशस्त्र बलों के जवानों के साथ दिवाली मनाई। इस दौरान उन्होंने देश को रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से बढ़ने और विश्व के शीर्ष रक्षा निर्यातकों में शामिल करने का लक्ष्य दोहराया।

प्रधानमंत्री ने जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि यह दिन “एक अद्भुत क्षण और गौरवपूर्ण दृश्य” है — जहां एक ओर विशाल समुद्र है और दूसरी ओर भारत माता के वीर सैनिकों की अपार शक्ति। उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत “केवल एक युद्धपोत नहीं, बल्कि 21वीं सदी के भारत की मेहनत, प्रतिभा और प्रतिबद्धता का प्रतीक” है।

प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि थल, वायु और नौसेना की संयुक्त शक्ति ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया था। उन्होंने कहा, “जिस सेना के पास स्वतंत्र रूप से लड़ने की क्षमता होती है, वही विजयी होती है — और इसके लिए आत्मनिर्भरता अनिवार्य है।”

मोदी ने बताया कि बीते 11 वर्षों में भारत का रक्षा उत्पादन तीन गुना से अधिक बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। उन्होंने कहा कि 2014 से अब तक भारतीय शिपयार्डों ने नौसेना को 40 से अधिक स्वदेशी युद्धपोत और पनडुब्बियां सौंपी हैं — औसतन हर 40 दिन में एक नया पोत नौसेना में शामिल हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रह्मोस और आकाश जैसी मिसाइलों की सफलता ने भारत की क्षमता को साबित किया है और अब कई देश इन्हें खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य स्पष्ट है — भारत को दुनिया के शीर्ष रक्षा निर्यातकों की सूची में शामिल करना।”

मोदी ने भारतीय नौसेना की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह हिंद महासागर क्षेत्र की वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने बताया कि “दुनिया की 66 प्रतिशत तेल आपूर्ति और 50 प्रतिशत कंटेनर शिपमेंट” इसी क्षेत्र से होकर गुजरते हैं, जिनकी सुरक्षा का दायित्व भारतीय नौसेना निभा रही है।

उन्होंने भारत की मानवीय और वैश्विक भूमिका का भी उल्लेख किया — “ऑपरेशन नीर” से लेकर मालदीव, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मोज़ाम्बिक और मेडागास्कर तक, भारत ने हर संकट में मानवता के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब नक्सल-माओवादी आतंकवाद से मुक्ति के कगार पर है और यह सशस्त्र बलों के साहस और समर्पण से संभव हुआ है। उन्होंने कहा, “हमारी सेनाएँ केवल समय की धारा का अनुसरण नहीं करतीं — वे दिशा तय करती हैं, नेतृत्व करती हैं, और असंभव को संभव बनाती हैं।”

भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने कहा — “जिन पर्वत शिखरों पर हमारे सैनिक अडिग हैं, वे भारत के विजय स्तंभ बने रहेंगे और समुद्र की लहरें भारत की विजयगाथा गूंजाएंगी। भारत माता की जय!”

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