कानपुर में दिवाली के पटाखों से 12 लोगों की आंखों की रोशनी गई, डॉक्टरों ने बताया कैसे ‘कार्बाइड’ कर देता है अंधा

- ऋषभ कुमार
कानपुर नगर। दिवाली की रौनक कई परिवारों के लिए दर्दनाक साबित हुई। कानपुर में कार्बाइड युक्त पटाखों के कारण अब तक 12 लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई है, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। हैलट अस्पताल के नेत्र रोग और प्लास्टिक सर्जरी विभागों में लगातार मरीज पहुंच रहे हैं। शनिवार को ही कुल 12 नए मरीज आए — जिनमें से कुछ की दृष्टि पूरी तरह चली गई है।
डॉक्टरों के मुताबिक, कार्बाइड पटाखों से हुए घाव आम पटाखों से कहीं ज्यादा खतरनाक हैं। इनमें मौजूद रासायनिक तत्व आंख की कोशिकाओं को जला देते हैं और गहराई तक असर करते हैं। जख्म में जमा कार्बाइड पाउडर घाव भरने में रुकावट डालता है, जिससे संक्रमण और दृष्टि हानि का खतरा बढ़ जाता है।
हैलट अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में अब तक 75 मरीज पहुंचे हैं, जिनमें 8 की एक आंख की रोशनी स्थायी रूप से चली गई है। निजी नेत्र चिकित्सकों के यहां भी चार ऐसे मरीज पहुंचे हैं। इसके अलावा शहर के अन्य अस्पतालों में भी इसी तरह के मामले लगातार दर्ज हो रहे हैं।
डॉ. शालिनी मोहन, वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ, लाला लाजपत राय अस्पताल, ने बताया —
“कार्बाइड से कॉर्निया और आंख के अन्य हिस्सों को गहरा नुकसान पहुंचता है। यह सामान्य बारूद पटाखों से कहीं ज्यादा खतरनाक है। ऐसे पटाखों को तुरंत प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।”
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्लास्टिक सर्जन डॉ. प्रेम शंकर ने बताया कि कार्बाइड पटाखों के जख्म बहुत गहरे होते हैं।
“इन पटाखों का पाउडर ऊतकों में घुस जाता है, जिससे मांस गलने लगता है और घाव भरने में बहुत समय लगता है। बारूद पटाखों से जहां मांस फटता है, वहीं कार्बाइड वाले पटाखे जलन और गलन दोनों पैदा करते हैं।”
नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. परवेज खान के अनुसार, कार्बाइड विस्फोट में कॉर्निया की परत पूरी तरह नष्ट हो जाती है।
वहीं, डॉ. मलय चतुर्वेदी ने बताया —
“कार्बाइड के कण ‘एल्केलाइन इंजरी’ करते हैं। यदि समय पर इलाज न मिले, तो ये पूरे 360 डिग्री तक आंख की ऊतक परत को जला देते हैं।”
विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की है कि पटाखों से आंखों में चोट लगने पर तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और किसी भी तरह का घरेलू उपचार न करें, क्योंकि देरी से इलाज होने पर स्थायी अंधापन हो सकता है।



