गिरिराज सिंह का विपक्ष पर हमला — कहा, “मुस्लिम वोट के लालच में SIR का विरोध कर रहे हैं विपक्षी दल”

नेहा पाठक
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मंगलवार को विपक्षी दलों पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन (INDIA ब्लॉक) विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभ्यास का विरोध सिर्फ़ मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के लिए कर रहा है।
उन्होंने कहा, “मैं चुनाव आयोग को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उसने विशेष गहन पुनरीक्षण की पहल की है। कुछ राज्य और भारत गठबंधन इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसा लगता है मानो पश्चिम बंगाल सरकार अब बांग्लादेश की सरकार बन गई है। ये लोग सिर्फ़ मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए SIR का विरोध कर रहे हैं और भारत को धर्मशाला बनाना चाहते हैं।”
गिरिराज सिंह का यह बयान उस समय आया है जब भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दूसरे चरण की घोषणा की है। आयोग के अनुसार, इस चरण में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, पुडुचेरी, लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह शामिल होंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक प्रशिक्षण और मुद्रण कार्य होगा, इसके बाद 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक गणना चरण चलेगा। ड्राफ्ट मतदाता सूची 9 दिसंबर को जारी की जाएगी, जबकि अंतिम सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित होगी।
इस बीच, विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में गड़बड़ियों और मतदाता हेराफेरी के आरोप लगाए हैं।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि “हर निर्वाचन क्षेत्र में वोट घोटाले हो रहे हैं और चुनाव आयोग इन गंभीर चिंताओं की अनदेखी कर रहा है।” उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “चुनाव आयोग को लगता है कि जवाबदेही से बचने के लिए वास्तविक चिंताओं पर चुप रहना पर्याप्त है, लेकिन हर क्षेत्र में वोटों में हेराफेरी के प्रमाण सामने आ रहे हैं।”
वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कर्नाटक में “फर्जी मतदाता जोड़े जाने” के आरोप लगाए थे, जिसकी एसआईटी जांच ने कुछ हद तक पुष्टि की है।
आदित्य ठाकरे ने भी महाराष्ट्र में मतदाता सूची में विसंगतियों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने दावा किया कि 2024 विधानसभा चुनावों में इन्हीं गड़बड़ियों के चलते महा विकास अघाड़ी (MVA) को नुकसान हुआ और आने वाले बीएमसी चुनावों में भी इसका असर पड़ सकता है।
चुनाव आयोग ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार आधार कार्ड को 12 पहचान दस्तावेजों की सूची में शामिल किया गया है, ताकि मतदाता पहचान प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जा सके।



