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भारत में लोग क्यों हो रहे BP के शिकार, WHO ने जारी किया ब्लडप्रेशर का सबसे बड़ा डाटा

विश्व स्वास्थय संगठन ने पूरी दुनिया में हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों का अब तक का सबसे बड़ा डाटा जारी किया है। डाटा के मुताबिक हाई ब्लड-प्रेशर के शिकार मरीजों की संख्या 1990 से 2019 के बीच में दोगुनी हो गई है। 1990 में हाई बीपी के मरीज 65 करोड़ से बढ़कर 2019 में – 130 करोड़ हो चुके हैं. इनमें से एक करोड़ 80 लाख लोग केवल हाई ब्लड प्रेशर की वजह से समय से पहले मारे जा रहे हैं. यानी अगर इनका बीपी कंट्रोल में होता तो ये लोग आज जी रहे होते।

हाई ब्लड प्रेशर के आधे मरीजों को पता ही नहीं है कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर है. दुनिया में 30 से 79 वर्ष के बीच के हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में से केवल आधे यानी 54% लोग ऐसे हैं जिन्हें पता है कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर हैं। कुल मरीजों में केवल 42% ऐसे हैं जिन्हें हाई बीपी के लिए इलाज मिल रहा है। दुनिया में केवल 21% ऐसे मरीज हैं जिनका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में है। विश्व स्वास्थय संगठन के मुताबिक दुनिया में ब्लड प्रेशर के शिकार कुल मरीजों का हाल ये है।

  • हर 5 में से 4 का नहीं हो रहा सही इलाज
  • हर 3 में से 1 व्यक्ति दुनिया में हाई ब्लड प्रेशर का मरीज
  • हर 2 में से 1 को नहीं पता कि उसे हाई ब्लड प्रेशर है।
  • केवल हाई ब्लड प्रेशर से स्ट्रोक, हार्ट अटैक, किडनी खराब होने का खतरा है

WHO के मुताबिक ऐसे लोग जिनका ब्लड प्रेशर (systolic) 140/90(Dystolic) से ज्यादा रहता है वो हाईब्लड प्रेशर के मरीज माने जाते हैं. विश्व स्वास्थय संगठन के अनुमान के मुताबिक अगर 50 प्रतिशत लोगों को कंट्रोल ब्लड प्रेशर वाले दायरे में लाया जा सका तो 2023 से 2050 के बीच होने वाली 76 मिलियन यानी साढे सात करोड़ लोगों की असमय मौतों को टाला जा सकेगा।

  • 12 करोड़ लोगों को स्ट्रोक से बचाया जा सकेगा
  • 8 करोड़ हार्ट अटैक टाले जा सकेंगे
  • तकरीबन 1 करोड़ 70 लाख हार्ट फेल होने से बचाए जा सकेंगे

WHO के 2019 के डाटा के मुताबिक भारत में 18 करोड़ 80 लाख हैं हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं. इनमें से 37 प्रतिशत मरीजों को अपनी बीमारी के बारे में पता है. 30 प्रतिशत हाईब्लड प्रेशर के लिए इलाज ले रहे हैं। भारत में केवल 15 प्रतिशत मरीजों का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में है. WHO के अनुमान के मुताबिक ऐसे लोग जो लाइफस्टाइल वाली बीमारियों की वजह से समय से पहले मौत के शिकार हो सकते हैं उनकी कुल अनुमानित संख्या 22% है. इनमें 25% पुरुष और 19% महिलाएं होंगी।

2019 के डाटा के मुताबिक 25 लाख 66 हजार लोग भारत में दिल की बीमारी के शिकार हो गए. जिनमें से 14 लाख 51 हज़ार पुरुष और 11 लाख 16 हज़ार महिलाए हैं. भारत में 2019 में दिल की बीमारी से मौत के शिकार हुए लोगों में 52% की मौत के पीछे हाई ब्लड प्रेशर सबसे बड़ा कारण था. मरने वालों में 51% पुरुष और 54% महिलाएं थी।

25 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में भारत में नमक का औसत सेवन 10 ग्राम प्रतिदिन है। WHO के मुताबिक एक व्यक्ति को एक दिन में 5 ग्राम या उससे भी कम नमक खाना चाहिए. लेकिन भारतीय रोजाना डबल डोज में नमक खा रहे हैं. जिसमें पुरुष औसतन 11 ग्राम और महिलाएं 9 ग्राम नमक खा रही हैं।

भारत में लाइफ स्टाइल वाली बीमारियों का पता करने के लिए आईसीएमआर ने 2017-18 में एक सर्वे किया. ये सर्वे 18 से 69 साल के 10 हजार 659 लोगों पर किया गया था.भारतीय औसतन 8.9 ग्राम नमक रोजाना खा रहे हैं. पुरुष 8 ग्राम से थोड़ा सा ज्यादा और महिलाएं 7 ग्राम से थोड़ा ज्यादा नमक खा रही हैं. मोटे लोग, पुरुष, और गांवों में रहने वाले लोगों में नमक का इस्तेमाल ज्यादा पाया गया।

सर्वे के नतीजों के मुताबिक अगर सभी लोग एक चुटकी नमक यानी 5 ग्राम से कम नमक के नियम को मानने लगें तो हाई बीपी से होने वाली मौतों में 25% की कमी आ सकती है. 15 साल से ज्यादा उम्र के 28% लोग तंबाकू का सेवन कर रहे हैं. इसमें 42% पुरुष और 14% महिलाए हैं. 18 साल से ज्यादा के 4% लोग मोटापे के शिकार हैं। पुरुष 3 प्रतिशत और महिलाओं में 5% मोटी हैं. शराब के सेवन को प्रति व्यक्ति में बांट दिया जाए तो 15 साल से उपर की उम्र का हर व्यक्ति औसतन 5 लीटर शराब पी रहा है. पुरुष 8 लीटर और महिलाएं 2 लीटर शराब पी रही हैं।

आलस भी एक बड़ा कारण है जो भारतीयों को बीमार कर रहा है. 18 साल से ज्यादा उम्र के 34% लोग भारत में फिजीकली एक्टिव नहीं है यानी वो किसी तरह की कसरत नहीं करते. 25% पुरुष और 44% महिलाएं सैर करने जैसी कसरत भी नहीं कर रही। हाईबीपी के दूसरे कारणों में वैसे तो वो कारण हैं जिनके बारे में हम सब जानते हैं कि वो हमें बीमार कर सकते हैं जैसे परिवार में किसी को हाईबीपी, मोटापा, शराब और स्मोकिंग, ज्यादा नमक, एक्सरसाइज ना करना, लेकिन WHO के मुताबिक अगर किसी इलाके में एयर पॉल्यूशन काबू में नहीं है तो वो भी हाईबीपी का मरीज बना सकता है।

भारतीय रिसर्च संस्था आईसीएमआर का लेटेस्ट डाटा उससे भी आगे का है. 2023 के इस डाटा के मुताबिक इस समय भारत में 31 करोड़ से ज्यादा लोगों को हाई ब्लड प्रेशर है. जबकि WHO के 2019 के डाटा में ये संख्या 19 करोड़ के लगभग है. अब लाइफ स्टाइल वाली बीमारियां शहरों से गांवों में पहुंच चुकी हैं. इस समय गांव में हर पांच में से एक व्यक्ति ब्लड प्रेशर का मरीज है और हर 20 में से एक को डायबिटीज़ हो चुकी है।

WHO के गणित के मुताबिक भारत में 6 करोड़ लोग और ऐसे होने चाहिए जिनका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में आ जाए। जिससे मौतों का ग्राफ नीचे लाया जा सके. WHO और आईसीएमआर की नई रिसर्च के मुताबिक एक तिहाई भारतीयों को पता है कि वो ज्यादा नमक खा रहे हैं लेकिन उन्हें ना तो इससे होने वाले नुकसान का अंदेशा है और ना ही वो ये समझ पा रहे हैं कि ये नमकीन आदत जानलेवा साबित हो रही है। भारत में हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की बढ़ती संख्या के पीछे सबसे बड़ा कारण नमक को ही बताया गया है।

फोर्टिस एस्कॉर्टस अस्पताल, दिल्ली के चेयरमैन डॉ अशोक सेठ का कहना है कि अस्पतालों में हाई ब्लड प्रेशर के मरीज दिल के मरीज बनने के बाद ही रेगुलर चेकअप के लिए पहुंचते हैं और इसीलिए भारत में दिल की बीमारियों का ग्राफ पूरी दुनिया में सबसे ऊपर है। भारत में होने वाली कुल मौतों में से 28% दिल की बीमारी से होती हैं।

1990 में तकरीबन 8 लाख (7 लाख 80 हजार) लोग हाईब्लड प्रेशर की वजह से मारे गए थे, जबकि 2016 में हाईबीपी से मरने वालों की संख्या 16 लाख से ज्यादा थी. (16 लाख 30 हजार) दुनिया भर में ज्यादा नमक खाने से की वजह से 30 लाख लोग मारे जा रहे हैं। एक वयस्क को दिन भर में 5 ग्राम से कम नमक खाना चाहिए, बच्चों को उससे भी कम नमक लगभग 3 ग्राम. ये एक सेहतमंद इंसान की जरुरत है। हाईबीपी के मरीज और दिल के मरीजों को इससे भी कम नमक खाना चाहिए। अगर 5 ग्राम का हिसाब मुश्किल हो तो ये समझ लीजिए कि एक छोटा चम्मच नमक आपको दिन भर में खाना है।

  • 100 ग्राम चिप्स के पैकेट में तकरीबन 2.5 ग्राम नमक होता है।
  • 100 ग्राम पापड़ में 2 ग्राम नमक होता है।
  • 100 ग्राम सॉस, कैचप या स्प्रेड में 5 ग्राम नमक होता है।
  • एक प्लेट मसाला डोसा में 4.5 ग्राम नमक होता है।
  • एक प्लेट पाव भाजी में 3.54 ग्राम नमक होता है।
  • छोले भटूरे की एक प्लेट में 3.91 ग्राम नमक होता है।

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