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रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए जेद्दा में मिले 40 देशों के NSA, डोभाल बोले- क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें दोनों देश

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इन दिनों सऊदी अरब की यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने जेद्दा में शुरू हुए यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया था जिसमें दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे गए हैं।

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच को रोकने और शांतिपूर्ण समाधान निकालने के मकसद से सऊदी अरब के शहर जेद्दा में हो रहे दो दिवसीय बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में भारत की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल शामिल हुए। बैठक की मेजबानी सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने की। इसमें करीब 40 देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

बैठक को संबोधित करते हुए NSA अजित डोभाल ने रूस-यूक्रेन के बहाने चीन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भारत ने संघर्ष की शुरुआत से ही शीर्ष स्तर पर रूस और यूक्रेन दोनों के साथ नियमित रूप से बातचीत की है। भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून में निहित सिद्धांतों पर आधारित वैश्विक व्यवस्था का समर्थन करता है। सभी राज्यों द्वारा संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान बिना किसी अपवाद के बरकरार रखा जाना चाहिए।

युद्ध ग्रस्त यूक्रेन के मदद को लेकर NSA अजित डोभाल ने कहा कि एक उचित और स्थायी समाधान खोजने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करते हुए सभी शांति प्रयासों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। पूरी दुनिया और खासकर ग्लोबल साउथ इस स्थिति का खामियाजा भुगत रहा है। भारत यूक्रेन को मानवीय सहायता और ग्लोबल साउथ में अपने पड़ोसियों को आर्थिक सहायता दोनों प्रदान कर रहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत इस कार्यक्रम में भाग लेगा और हमारी भागीदारी लंबे समय से चली आ रही स्थिति के अनुरूप है कि बातचीत और कूटनीति ही आगे बढ़ने का रास्ता है। उन्होंने मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि भारत को जेद्दा में यूक्रेन पर सऊदी अरब द्वारा आयोजित एक बैठक में आमंत्रित किया गया है।

एनएसए ने बैठक के दौरान कहा कि बैठक में दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति का समाधान और संघर्ष के परिणामों को नरम करना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है। प्रयासों को दोनों मोर्चों पर एक साथ निर्देशित किया जाना चाहिए और इसे सुनिश्चित करने के लिए बहुत अधिक जमीनी कार्य की आवश्यकता है। वर्तमान में, कई शांति प्रस्ताव सामने रखे गए हैं। प्रत्येक के कुछ सकारात्मक बिंदु हैं लेकिन दोनों पक्षों को कोई भी स्वीकार्य नहीं है।

उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भारत स्थायी और व्यापक समाधान खोजने के लिए एक सक्रिय और इच्छुक भागीदार बना रहेगा। ऐसे परिणाम से अधिक खुशी और संतुष्टि भारत को कोई और चीज नहीं दे सकता।

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