महापरिनिर्वाण दिवस 2025: जानें बाबासाहेब आंबेडकर ने कैसे ली थी अंतिम नींद और क्यों खास है 6 दिसंबर

हर गरीब की मदद—जाति नहीं, अवसर मायने रखता था
आंबेडकर का मानना था कि जिसका शोषण हुआ, जिसे अवसर नहीं मिले—वही असली ‘दलित’ है। इसी सोच के चलते वे गरीब ब्राह्मण बच्चों की भी मदद करते थे।
- समय टुडे डेस्क।
भारत के इतिहास में 6 दिसंबर सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक युगांतरकारी व्यक्तित्व—डॉ. भीमराव आंबेडकर—को याद करने का दिन है। हर साल की तरह 2025 में भी देश उनका महापरिनिर्वाण दिवस मना रहा है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि बाबासाहेब आखिर कब और कैसे दुनिया से विदा हुए थे।
कैसे हुआ था बाबासाहेब का निधन?
1955 में लंबे समय से चली आ रही बीमारी के कारण डॉ. आंबेडकर का स्वास्थ्य लगातार गिर रहा था।
6 दिसंबर 1956 की सुबह जब दिल्ली स्थित उनके घर में लोग पहुंचे, तो पता चला कि बाबासाहेब नींद में ही शांतिपूर्वक इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं।
2025 में उनकी 70वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है।
बाबासाहेब का सफर—एक नजर में
- जन्म: 14 अप्रैल 1891, महू (मध्य प्रदेश)
- सतारा में प्रारंभिक पढ़ाई, एल्फिंस्टन हाई स्कूल (बॉम्बे) से माध्यमिक शिक्षा
- 1913 में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति
- वित्त और प्रशासन पर शोध, पीएचडी पूरी
- 1946 में संविधान सभा के सदस्य
- स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री
- संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष
- भारत के संविधान का निर्माण—उनकी सबसे बड़ी देन
- 1956 में बौद्ध धर्म ग्रहण
- 1990 में भारत रत्न
उनके सम्मान में 1992 में डॉ. आंबेडकर फाउंडेशन बनाया गया, ताकि उनके विचारों और विज़न को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाया जा सके।
बाबासाहेब का प्रेरणादायक संदेश
उनका प्रसिद्ध नारा आज भी लोगों को दिशा देता है—
“शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो।”
यही संदेश सामाजिक न्याय और समानता की नींव बना।

महापरिनिर्वाण दिवस 2025: 10 महत्वपूर्ण लाइनें
- 6 दिसंबर को हर साल डॉ. आंबेडकर की पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है।
- यह दिन बाबासाहेब के सामाजिक सुधारों और संविधान निर्माण में उनकी भूमिका को याद करता है।
- आंबेडकर ने जीवनभर जाति, भेदभाव और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया।
- उनका सपना था—एक ऐसा समाज जहां हर व्यक्ति बराबरी के साथ जी सके।
- वे महान विचारक, अर्थशास्त्री, शिक्षक और विधि विशेषज्ञ थे।
- उन्हें ‘भारतीय संविधान के निर्माता’ के रूप में जाना जाता है।
- उनके योगदान के लिए 1990 में भारत रत्न दिया गया।
- 2025 में देश उनकी 70वीं पुण्यतिथि मना रहा है।
- देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम, सभाएं और स्मरण आयोजन किए जाते हैं।
- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित कई नेता इस दिन उन्हें नमन करते हैं।
क्यों मनाया जाता है यह दिन?
महापरिनिर्वाण दिवस बाबासाहेब के जीवनभर सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों की लड़ाई को याद करने का अवसर है। यह दिन remind करता है कि आज जो स्वतंत्रता और अधिकार हमें मिले हैं, उनमें उनका योगदान अतुलनीय है।
64 विषयों के जानकार
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के 2011 के रिकॉर्ड बताते हैं कि बाबासाहेब 64 विषयों के मास्टर थे—जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।
अर्थशास्त्र, कानून, समाजशास्त्र, राजनीति, इतिहास—हर क्षेत्र में उनकी पकड़ गहरी थी।
विदेश से डॉक्टरेट करने वाले पहले भारतीय
आंबेडकर पहले भारतीय थे जिन्होंने विदेश से PhD पूरी की।
उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से उच्च शिक्षा हासिल की। उनके पास —
BA, MA, MSc, PhD, DSc, LLD, DLitt और Barrister at Law—कुल 8 उच्च डिग्रियां थीं।
RBI की नींव में था उनका दिमाग
बाबासाहेब की प्रसिद्ध पुस्तक ‘The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution’ ने ब्रिटिश सरकार को भारतीय वित्तीय ढांचे पर नई सोच दी। इसी किताब की सलाह ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की संरचना का आधार तैयार किया।
यानी RBI का विचार भी कहीं न कहीं बाबासाहेब के विज़न का नतीजा था।
दुनिया की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाती है उनकी आत्मकथा
बाबासाहेब की आत्मकथा ‘Waiting for a Visa’ आज भी कोलंबिया यूनिवर्सिटी में टेक्स्टबुक के रूप में पढ़ाई जाती है। यह सम्मान दुनिया में बहुत कम लोगों को मिला है।



