कर्म को मिले भाग्य का साथ, तभी तो बनेगी बात ……
ज्योतिष, कर्म और भाग्य की परिभाषा—
यह कहना उचित है कि भाग्यहीन कोई भी व्यक्ति नहीं। इस संसार में भाग्य साथ लेकर सभी जन्म लेते हैं। लेकिन कर्म को जबतक भाग्य का साथ नहीं मिलता, तबतक हमारे द्वारा किये गये कर्म सफल नहीं हो पाते और भाग्य हमारे साथ है या नहीं,इस बात पर हमेशा प्रश्न चिन्ह ही लगा रहता है। कर्म आखिर कौन सा व्यक्ति नहीं करता! हर व्यक्ति के जीवन में कर्म सुबह उठते ही शुरू हो जाता है। घर से लेकर बाहर जाकर तरह-तरह के कार्य करना कर्म ही तो है। लेकिन बाहर जाकर अपने ही कर्म से जेब में क्या लेकर घर वापसी करेंगे,ये आपका भाग्य ही तय करता है! कभी गौर कीजिएगा इस बात पर भी, कि हमारे ऋषि-मुनियों ने ज्योतिषशास्त्र की रचना करते समय कुंडली में भाग्य भाव को कर्म भाव से भी पहले क्यों रखा है! कुंडली में दसवें भाव से भी पहले नवम भाव को ही क्यों प्राथमिकता दी गई।
—किस स्थान पर बैठकर किस स्तर का कर्म करना पड़ रहा है यह भी भाग्य ही तय करता है-
साधारण से कंपनी के कर्मचारी से लेकर कंपनी के मालिक बनने तक भाग्य ही यह सुनिश्चित करता है कि कैसी जगह पर बैठोगे, कैसा कर्म करने के लिए धन कमाने बाहर निकलोगे, कौन हमारा साथ देगा, किसका सहयोग हमें प्राप्त होगा और कौन व्यक्ति हमारे प्रति ईर्ष्या के भाव मन में रखेगा।
—हमसे कर्म करवाने वाला भी भाग्य ही है-
ऐसे भी लोग हैं, जिनके भाग्य ने उनके जीवन में कोई कर्म करना ही नहीं लिखा और ऐसे भी हैं जो जीवन भर कर्म ही कर्म किये जाते हैं पर आजतक कोई लाभ ही नहीं ले पाए।
—सौभाग्यशाली कौन-
सौभाग्यशाली वह है, जिसके कर्म को हमेशा भाग्य का साथ मिलता रहता है। कोई भी कर्म करने पर कर्म से तुरंत व निरंतर लाभ मिलते रहना ही, सौभाग्य प्राप्त करना है।
—महाभाग्यशाली कौन-
महाभाग्यशाली वह हैं, जिन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी भाग्य का साथ मिलता रहता है। कई परिवार,पीढियाँ बैठे-बैठे लाभांवित होती चली जाती हैं। उनका कोई भी व्यापार, कार्य बिना किसी हानि, घाटे के उन्हें लाभ ही लाभ देते रहते हैं और बिना किसी रुकावट के उनके सभी काम आसानी से बनते चले जाते हैं और एक शानदार तरीके से उनकी पीढियाँ, परिवार वैभवशाली जीवन जीते हुए आनंदित रहते हैं।
—ज्योतिष शास्त्र कभी गलत नहीं,बल्कि एक अल्पज्ञानी व्यक्ति ही गलत विवेचना करके ज्योतिष को गलत साबित करता है।
किसी भी विषय में उससे सम्बंधित उसके मूल सिद्धांतों पर आधारित उसके उचित ज्ञान की कमी ही उस विषय की प्रतिष्ठा एवं प्रभाव को नष्ट कर देती है। इस मामले में केवल ज्योतिषशास्त्र ही शामिल नहीं, बल्कि किसी भी विषय का अल्प ज्ञान होना ही उस विषय की छवि धूमिल कर ही देता है। और ऐसा होने का एकमात्र माध्यम कोई ना कोई व्यक्ति ही बनता है।
किसी भी पौराणिक ग्रंथ, शास्त्र, विद्या के माध्यम से मंत्र,उपाय, ग्रहों, नक्षत्रों आदि से सम्बंधित प्राप्त कोई भी जानकारी ना तो झूठी बातों पर आधारित है और ना ही किसी भी दृष्टि से कमतर व प्रभावहीन ही है। प्रत्येक शास्त्र, ग्रंथ आदि में लिखित जानकारी आम जनमानस के कल्याण के लिए ही हमारे ऋषियों, देवज्ञो द्वारा ही वर्णित की गयी है। किन्तु यदि किसी व्यक्ति में उचित ज्ञान का ही अभाव है और वह सही ढंग में परिभाषित कर पाने में ही सक्षम नहीं हैं, तो ऐसी स्थिति में उस विषय, शास्त्र एवं विद्या के मूल तत्व तो प्रभावित होने ही हैं। हिंदू धर्म के विभिन्न ग्रन्थों, शास्त्रों आदि में लिखित सभी लेख पूर्णत: सार्थक एवं प्रभावशाली ही होते हैं। यदि उनको बताने वाले व्यक्ति के पास स्वयं एक अच्छा ज्ञान हो, उनके मूल तत्त्व से बिना किसी छेडछाड़ के उन्हें सही रूप में परिभाषित करने का प्रयास अच्छा किया गया हो एवं उसको सुनकर उसका अनुसरण करने वाले व्यक्ति ने भी सही तरीके व बताये गये नियमानुसार उनका उसी रूप में अनुसरण किया हो, तो वह निश्चित ही जीवन में समस्याओं को कम करने वाले फलदायी सिद्ध होते हैं।
अशनिका शर्मा (ज्योतिर्विद् )
विशेषज्ञ: वैदिक ज्योतिष||अंकशास्त्र||हस्तरेखा||वास्तु
संपर्क सूत्र: 9568962423
मेरठ,उत्तर प्रदेश।