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CM स्टालिन ने पूर्व पीएम वी. पी. सिंह की प्रतिमा का किया अनावरण, मौजूद रहे पूर्व यूपी CM अखिलेश यादव

मिलनाडु की राजधानी चेन्नई में पूर्व प्रधानमंत्री विश्व नाथ प्रताप सिंह की प्रतिमा के अनावरण के बाद यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने संक्षिप्त संबोधन किया। उन्होंने कहा कि ‘यह स्टैचू लग जाने के बाद वो लोग जिन्हें हजारों साल से न्याय की उम्मीद थी, बराबरी की उम्मीद थी वो हमारे साथ खड़े होकर इस लड़ाई को और मजबूत बनाने का काम करेंगे।

सपा प्रमुख ने कहा कि ‘जो दिल्ली की सरकारें हैं जिन्होंने हमें और आपको कभी अधिकार नहीं दिया वह प्राइवेटाइजेशन की तरफ जा रहे हैं. हमारी आपकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। दीगर है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने सोमवार को चेन्नई में दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया. सिंह की आदमकद प्रतिमा यहां प्रेसीडेंसी कॉलेज परिसर में स्थापित की गई है।

स्टालिन ने समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर सिंह के परिजन भी मौजूद रहे। अनावरण के बाद स्टालिन, यादव और अन्य लोगों ने सिंह की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित की। स्टालिन ने अप्रैल में घोषणा की थी कि तमिलनाडु सरकार सिंह की एक प्रतिमा स्थापित करेगी। उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री ने बी.पी. मंडल आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्र सरकार की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की ओर से चेन्नई पूर्व पीएम वीपी सिंह की मूर्ति के अनावरण पर बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोला है। बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि राजीव गांधी ने संसद के पटल पर मंडल कमीशन का विरोध किया था। डीएमके ने 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय जनगणना को धार देने की एक खास कोशिश की है। डीएमके मुखिया एमके स्टालिन ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की मौजूदगी में मंडल कमीशन को धरातल पर उतारने वाले वीपी सिंह की मूर्ति का चेन्नई में अनावरण करके अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं।

डीएमके की अभी तक की राजनीति तमिल भाषी और दक्षिण भारतीय राजनीति की धुरी पर टिकी थी। उसकी ओर से हिंदी भाषी, उत्तर भारतीय, सवर्ण राजपूत और पूर्व पीएम वीपी सिंह की मूर्ति के अनावरण के ऐलान के साथ विपक्षी इंडिया गठबंधन के भीतर सियासी उठापटक के आसार थे। गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस भी इतिहास के लिहाज से इसे लेकर पसोपेश में थी। ऐसे में अंदरखाने में तय हुआ कि, वीपी सिंह यूपी से आते हैं, इसलिए सिर्फ वहां से उनकी राजनीति के अनुयायी मुलायम के बेटे को न्योता देकर सियासत का दांव संभल कर चला जाए।

इसीलिए मंडल कमीशन की राजनीति के समर्थक नीतीश, लालू जैसे चेहरों को भी न्योता न देकर बिखराव को रोकने की कोशिश की गई। इससे डीएमके सहयोगी कांग्रेस ने राहत की सांस ली, लेकिन अखिलेश ने मूर्ति अनावरण के मौके पर बिना नाम लिए बीजेपी के साथ कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा कर ही दिया। अखिलेश यादव ने कहा है कि जो दिल्ली की सरकारें हैं उन्होंने हमें और आपको कभी अधिकार नहीं दिया। वो प्राइवेटाइजेशन की तरफ जा रहे हैं। हमारी आपकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

स्टालिन का यह दांव क्यों अहम?
जातीय जनगणना के दांव को 2024 के लिहाज से पैनापन देने के लिए इस सियासी दांव को अहम माना जा रहा है। कांग्रेस भी 90 के दशक से अपना पुराना रुख बदलते हुए अब जातीय जनगणना की पुरजोर वकालत कर रही है। दरअसल, डीएमके का ये दांव 2003 से राज्य और केंद्र में उसकी सहयोगी कांगेस के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला क्यों हो सकता है, जरा ये भी जान लीजिए।

बीजेपी ने कांग्रेस के सहारे बोला हमला
मूर्ति अनावरण को लेकर बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि वीपी सिंह ने कांग्रेस से बाहर आकर कांग्रेस की सरकार हटाई. मुलायम को सीएम बनाया, बाद में वो वीपी सिंह को छोड़कर चंद्रशेखर के साथ चले गए. स्टॉलिन के लिए सामाजिक न्याय का मतलब उनका बेटा और परिवार है। अखिलेश के लिए भी सामाजिक न्याय का मतलब उनका परिवार है। इनके चेहरे और मुखौटे में अंतर है. अब जनता इसको पहचान चुकी है. ये सामाजिक न्यायवादी नहीं बल्कि कट्टरवादी और परिवारवादी हैं।

उन्होंने कहा, नेहरू जातीय जनगणना के खिलाफ थे और इसको संविधान सभा में रोका था। वहीं, इंदिरा ने कहा था जात पे ना बात पे, मुहर लगेगी हाथ पे. राजीव ने संसद पटल पर मंडल कमीशन का विरोध किया था। राहुल गांधी कह दें कि नेहरू, इंदिरा, राजीव सब गलत थे. राहुल गांधी ऐसे नेता हैं जो पुरखों की बात रखकर लात पर, पार्टी ले आया फुटपाथ पर।

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