
- समय टुडे डेस्क।
केरल में शुक्रवार को नई फसल की खुशियों के बीच ओणम उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। राज्यभर के लोग पारंपरिक परिधान पहनकर, आंगन को फूलों की रंगोली यानी पूक्कलम से सजाकर और स्वादिष्ट शाकाहारी सद्या तैयार कर परंपरा का आनंद ले रहे थे।
थिरुवोणम के नाम से प्रसिद्ध यह दस दिवसीय उत्सव छोटे गांवों से लेकर बड़े कस्बों तक सुबह-सुबह मंदिरों की ओर उमड़ी भीड़ के साथ अपने चरम पर पहुंचा। परिवारजन साथ में जश्न मनाते और बुजुर्ग ओणक्कोडी के रूप में नए कपड़े बांटते देखे गए।
लोक नृत्य और पारंपरिक व्यंजन
महिलाओं ने केले के पत्तों पर परोसी जाने वाली सद्या में अचार, सब्जियां और पायसम जैसी मिठाइयां तैयार कीं। उत्सव के दौरान लोक नृत्य और झूले भी लगाए गए, जिससे माहौल और भी जीवंत हो गया।
पौराणिक कथा
ओणम की उत्पत्ति राजा महाबली की वर्ष में एक दिन अपने लोगों से मिलने की परंपरा से हुई मानी जाती है। कथा के अनुसार महाबली के न्यायप्रिय शासन से देवता परेशान हुए और भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा को पाताल लोक भेजा। लेकिन महाबली को वचन मिला कि वह हर साल थिरुवोणम के दिन अपने लोगों से मिल सकते हैं।
बाजारों में चहल-पहल
ओणम के अवसर पर सबसे अधिक खरीदारी केरल में होती है। त्यौहार से पहले बाजार देर रात तक भीड़-भाड़ से गुलजार रहे, लोग उत्सव के लिए सजावट और भोजन की तैयारी में व्यस्त रहे।