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मणिपुर हिंसा : CBI करेगी 2 महिलाओं से बर्बरता करने वाले मामले में अब जांच, वीडियो बनाने वाला मोबाइल हुआ बरामद

जातीय हिंसा में जूझ रहे मणिपुर से दरिंदों की भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो सामने आने के बाद देश आक्रोशित है। अब इस मामले की जांच गृह मंत्रालय ने CBI को सौंपने का फैसला किया है।

सोनाली सिंह

नई दिल्ली। मणिपुर में कुकी और मेतैई समुदाय के बीच जारी हिंसा के बीच 19 जुलाई की शाम को एक वीभत्स घटना का वीडियो वायरल हो गया जिसमें दरिंदो की एक भीड़ द्वारा दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र परेड कराया जा रहा था। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता था की दोनों महिलाएं कितनी असहाय थीं। जैसे ही यह वीडियो सामने आया पूरा देश गुस्से से उबल पड़ा। हर जगह इन दरिंदों पर कार्रवाई की मांग उठने लगी। उसके बाद इस वीडियो के आधार पर ताबड़तोड़ गिरफ्तारी भी की गई। अब इस मामले की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपी जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने गुरुवार को ये जानकारी दी।

मोबाइल फोन बरामद, सात लोगों की हुई गिरफ्तारी

जिस मोबाइल से इस वीभत्स घटना को रिकॉर्ड कर वायरल किया गया था, उसे पुलिस बरामद कर चुकी है। इसके साथ ही वीडियो बनाने वाला व्यक्ति भी हिरासत में है। बता दें कि मणिपुर के कांगपोकपी जिले में चार मई को दो आदिवासी महिलाओं को नग्न कर घुमाने के संबंध में अबतक सात लोगों की गिरफ्तारी हुई है। सभी को 11 दिनों के लिए हिरासत में भेजा गया है। समाचार एजेंसी ANI ने ट्विट में बताया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर वायरल वीडियो मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर कराने का भी अनुरोध करेगी।

बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 35000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।

लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 140 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 3000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है।

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