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आतंकी क्यों बना रहे हैं राजौरी और पूंछ को निशाना? जानें क्या है बौखलाहट की असली वजह

20 दिसंबर देर शाम से जम्मू-कश्मीर के राजौरी के थानामंडी इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच में चल रही मुठभेड़ आज चौथे दिन भी जारी है. सुरक्षा बलों को इनपुट्स मिले थी कि इस इलाके में 2 से लेकर 3 आतंकी छुपे बैठे हैं, जिसके बाद ऑपरेशन चलाया गया. इस मुठभेड़ के दौरान सेना के दो वाहनों पर आतंकियों ने हमला किया, जिसके बाद सेना के चार जवान शहीद हो गए। वहीं, इस मुठभेड़ में सेना के तीन जवान घायल भी बताए जा रहे हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर के राजौरी और पूंछ इलाके को आतंकी लगातार क्यों निशाना बना रहे हैं।

राजौरी और पूंछ में 1 साल में 27 आतंकी ढेर

बता दें कि पिछले सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर में लगातार एंटी टेरर ऑपरेशन चला रहे हैं. इस दौरान राजौरी और पूंछ में चलाए गए ऑपरेशन में टॉप आतंकी कारी और मुनव्वर समेत 14 आतंकी हिंटरलैंड में मारे गए हैं. जबकि, 13 आतंकी एलओसी क्रॉस करते हुए ढेर किए गए हैं. कुल मिलाकर एक साल में इन दोंनों इलाके में 27 आतंकी मार गिराए गए हैं. ऐसे में आतंकी बौखलाए हुए हैं. वहीं, सेना के 19 जवान वीरगति को प्राप्त हुए हैं।

आतंकी क्यों बना रहे हैं राजौरी और पूंछ को निशाना?

कश्मीर में अपनी गतिविधियों को अंजाम देने में नाकाम होने के बाद पाकिस्तान और आतंकी संगठन जम्मू संभाग में राजौरी और पूंछ के इलाकों को निशाना बना रहे हैं. दुर्गम इलाके, घने जंगल और प्राकृतिक गुफाएं होने के कारण आतंकी इन इलाकों को निशाना बना रहे हैं. पाकिस्तान की अपनी माली हालत भी खराब है, वहीं वहां आम चुनाव होने वाले हैं. पाकिस्तान के कश्मीर को लेकर प्रोपेगेंडा चलाने की कोशिश लगातार फेल हो रही है, ऐसे में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई राजौरी और पूंछ में आतंकी हमले करके अपने लोगों में झूठा नैरेटिव चलाना चाहती हैं. लेकिन, पाकिस्तान और आतंकी संगठनों का ये प्लान सुरक्षा बल लगातार फेल कर रहे हैं।

एक्सपर्ट ने बताया क्या किया जाना चाहिए?

सुरक्षा और रक्षा विशेषज्ञों ने एलओसी पर सुरक्षा प्रबंधन और खुफिया नेटवर्क को तत्काल मजबूत करने की आवश्यकता जताई है. विशेषज्ञों ने क्षेत्र में आतंकवादियों की बढ़ती गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की है. सेना की नगरोटा स्थित सोलहवीं कोर का नेतृत्व कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) परमजीत सिंह ने स्वीकार किया कि जिस इलाके में यह घटना हुई, वह दुर्गम इलाका है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह कहा सकता है कि सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि कोर के शीर्ष अधिकारियों को एक बार फिर से क्षेत्र में लगातार होने वाली घटनाओं का विश्लेषण करना चाहिए।

साल 2019 में बालाकोट हमले में शामिल सेना के अधिकारियों में से एक ले. जनरल सिंह ने कहा, ‘इस क्षेत्र में तस्करों और ‘ड्रग कार्टेल’ और इस तंत्र से जुड़े लोगों के बीच अपवित्र गठजोड़ है. इसकी रीढ़ तोड़ने की तत्काल आवश्यकता है. फरवरी, 2019 में पुलवामा में एक कार बम विस्फोट में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवानों के मारे जाने के बाद भारत ने विशेष रूप से प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद समूह के आतंकी शिविरों पर जवाबी हमला किया था. लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने यह भी सलाह दी कि अब समय आ गया है कि शीर्ष अधिकारी जंगलों में लड़े जाने वाले युद्ध के बुनियादी प्रशिक्षण पर फिर से विचार करें. उन्होंने कहा कि हमें तकनीकी इनपुट पर अधिक निर्भर नहीं रहना चाहिए, क्योंकि वे कई बार गुमराह करने वाले होते हैं.

(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)

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