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प्रशांत भूषण ने SC में दी ऐसी दलील, इसकी जांच के लिए हमें डेटा देखना होगा

सोनाली सिंह

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वीवीपैट की सौ फीसदी पर्चियों के मिलान किए जाने की मांग वाली याचिका पर लंबी बहस हुई. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की आलोचना और मतपत्रों को वापस लाने का आह्वान करने के कदम पर नाखुशी जताई. सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अधिकांश मतदाता अब ईवीएम पर भरोसा नहीं करते हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीखा सवाल पूछा और फिर कहा कि इसकी जांच के लिए हमें डेटा देखना होगा।

दरअसल, एडीआर यानी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सीनियर वकील प्रशांत भूषण पेश हुए थे. मामले की सुनवाई के दौरान जब वह अपनी दलीलें दे रहे थे, तब उन्होंने कहा कि अधिकांश मतदाता ईवीएम पर ईवीएम पर भरोसा नहीं करते हैं. इसके बाद कोर्ट ने पूछा, ‘भूषण जी, आपने कहा कि अधिकांश मतदाता ईवीएम पर भरोसा नहीं करते? आपको वह डेटा कैसे मिला?’ इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि सर यह एक पोल था. इसके बाद कोर्ट ने कहा. ‘आइए अब प्राइवेट सर्वे यानी निजी सर्वेक्षणों पर विश्वास न करें. आइए उन सब में हमलोग न जाएं. जांच करने के लिए हमें डेटा देखना होगा। ’

प्रशांत भूषण ने क्या दलील दी?

प्रशांत भूषण ने कहा कि या तो बैलेट से वोट देने का अधिकार दिया जा सकता है या वीवीपैट मे जो पर्ची है, उसे मतदाताओं को दिया जाए. मतदाता उसे एक बैलेट बॉक्स मे डाल दे.. अभी जो वीवीपैट है उसका बॉक्स ट्रांसपेरेंट नहीं है. सिर्फ सात सेकेंड के लिए पर्ची वोटर को दिखाई देती है. प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपैट पर्चियों की भी गिनती होनी चाहिए.. इसलिए बैलेट पेपर, वीवीपैट पर्चियों को मतदाता के हाथ में देकर बैलेट बॉक्स में डालें और वीवीपैट का डिजाइन बदला जाए. जैसा जर्मनी में होता है. प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि बेहतर तरीका ये है कि वोटर को वीवीपैट का स्लीप दिया जाए. वो देखने के बाद बैलेट बॉक्स मे डाले और फिर उसका ईवीएम से मिलान किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट में क्या मांग की गई है?

बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की आलोचना और मतपत्रों को वापस लाने का आह्वान करने के कदम पर कहा कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक ‘बहुत बड़ा काम’ है और ‘तंत्र को कमजोर’ करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. न्यायालय ने इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे चुनाव परिणामों में हेरफेर करने के लिए मतपत्र के दौर में मतदान केंद्रों को कब्जा लिया जाता था. शीर्ष अदालत ईवीएम के साथ ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) का उपयोग करके डाले गए वोटों के पूर्ण सत्यापन के अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. वीवीपैट, एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाती है कि उसका वोट सही ढंग से पड़ सका है या नहीं.

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