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लिवर में जमा फैट को डिटॉक्स करने में मददगार है कच्ची हल्दी, जानें कब और कैसे करें इसका सेवन

ल्दी में करक्यूमिन (Curcumin) होता है। ये एक ऐसा बायोएक्टिव तत्व है जो शरीर के लिए कई प्रकार से काम कर सकता है। लेकिन, आज हम लिवर के लिए हल्दी के इस्तेमाल की बात करेंगे। दरअसल, रोजाना हमारा शरीर कई प्रकार से फैट का प्रोडक्शन करता है जिसमें से ट्रांस फैट लिवर सेल्स में जमा हो जाता है। इससे होता ये है कि लिवर का काम काज बाधित हो जाता है और इसकी कोशिकाओं का नुकसान होता है। साथ ही कई टॉक्सिक चीजें तेजी से बढ़नी लगती हैं जिससे पाचन क्रिया प्रभावित रहता है। ऐसे में हल्दी इसे हेल्दी रखने में मदद कर सकती है।

नियमित रूप से कच्ची हल्दी का सेवन करने से पित्त उत्पादन में सुधार हो सकता है और बेहतर पाचन में मदद मिल सकती है। कच्ची हल्दी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। करक्यूमिन (Curcumin) कोशिका क्षति से बचाता है। यह खून में विषाक्त पदार्थों को खत्म करके नेचुरल प्यूरिफायर के रूप में भी काम करता है। नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (nonalcoholic fatty liver disease) से पीड़ित लोगों के लिए करक्यूमिन लिवर में सूजन और फैट को कम करने में मददगार है।

अब इसके काम करने के तरीरे की बात करें तो ये बायोएक्टिव कंपाउंड काफी गर्म तरीके से काम करता है। यानी कि ये एक गर्मी पैदा करता है जिससे फैट पिघलाने में मदद मिलती है। इससे अलावा ये लिवर सेल्स और टिशूज की कार्यक्षमता को बढ़ाते हुए शरीर में उन एंजाइम्स को पैदा करता है जिसस पाचन क्रिया सही रहे और आप तमाम प्रकार की लिवर से जुड़ी बीमारियों से बचे रहें।

कच्ची हल्दी को आप कई प्रकार से इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन आज हम इसके सेवन का सबसे कारगर तरीका बताएंगे। जैसे कि पहले तो कच्ची हल्दी को पीस लें और फिर गुनगुने पानी में इसका एक छोटा चम्मच मिला लें। ऊपर से थोड़ा सा शहद स्वाद के लिए और नींबू असर को बढ़ाने के लिए मिला लें। अब इसे मिक्स करके रोजाना खाली पेट इसका सेवन करें। इस तरह ये लिवर डिटॉक्स में मददगार होगी।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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