रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पूरा होगा 500 साल का सपना
22 जनवरी, 2024 का दिन अयोध्या में श्रीराम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो जाएगा। इस दिन देश के बहुसंख्यक हिंदू समाज का करीब 500 साल पुराना सपना साकार होगा।
सौरभ शुक्ला
आयोध्या। देश में आज धर्म, अध्यात्म और संस्कृति का नया सूर्योदय होगा। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ 22 जनवरी, 2024 का दिन इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो जाएगा। इस दिन देश के बहुसंख्यक हिंदू समाज का करीब 500 साल पुराना सपना साकार होगा। इस सपने की बुनियाद हिंदू समुदाय के इस दावे ने डाली थी कि मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने 1528 में अयोध्या में जिस विवादित स्थल पर मस्जिद का निर्माण कराया था, वह भगवान राम की जन्मभूमि है। वहां पहले प्राचीन मंदिर था। विवाद सिविल और हाईकोर्ट से होकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। शीर्ष अदालत की पांच जजों की पीठ के नौ नवंबर, 2019 को राम मंदिर ? के पक्ष में फैसले से सपना साकार होने के पहली कोंपल फूटी। आगे का रास्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने तैयार कर दिया।
होइहि सोइ जो राम रचि राखा…
राम मंदिर के मुद्दे पर राजनीति खूब हुई। अब भी हो रही है, लेकिन केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति ने उस पुनीत कार्य को संभव कर दिखाया, जिसे कभी असंभव मानकर लगातार टाला जाता रहा। यह मुद्दा करोड़ों भारतीयों की आस्था से जुड़ा था, जिनके लिए भगवान राम आराध्य भी हैं, आलंबन और पथ-प्रदर्शक भी। रामचरित मानस की इस चौपाई की जड़ें भारतीय जन-मानस में गहराई तक हैं, ‘होइहि सोइ जो राम रचि राखा, को करि तर्क बढ़ावै साखा’ (संसार में वही होगा, जो राम ने रच रखा है। इस विषय में तर्क से कोई लाभ नहीं है)। राम मंदिर के निर्माण में भी तर्क-वितर्क से परहेज किया जा सकता था, क्योंकि मंदिर बनकर रहेगा, यह शायद नियति ने पहले से रच रखा था। उद्देश्य पुनीत-पावन था, इसलिए अयोध्या को लेकर नकारात्मक ऊर्जा भी सकारात्मक ऊर्जा में बदल गई। राम मंदिर इस स्वस्थ परंपरा का भी प्रतीक है कि व्यवस्था सुविचारित प्रक्रिया से उद्देश्य को कैसे निष्कर्ष तक पहुंचा सकती है।
अब धार्मिक पर्यटन नई उड़ान भरने वाला
अब भगवान राम की नगरी अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक धाम बन चुकी है। यहां से धार्मिक पर्यटन नई उड़ान भरने वाला है। देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी यह शुभ संकेत है। संपूर्ण राम मंदिर तैयार होने में दो साल और लगेंगे। मंदिर परिसर में चारों कोनों पर भगवान सूर्य, मां भगवती, भगवान गणेश और भगवान शंकर के मंदिर बनाए जाएंगे। उत्तर दिशा में मां अन्नपूर्णा तो दक्षिण की ओर बजरंगबली का मंदिर होगा। इन सभी का निर्माण पूर्ण होने पर दुनिया में राम मंदिर की दिव्यता, भव्यता और निखर कर सामने आएगी।