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सांसारिक जीवन से दूर करने वाला मुख्य ग्रह है केतु—

● आध्यात्मिक जीवन यात्रा आरंभ करने एवं इस यात्रा को शीर्ष स्तर तक पहुंचाने वाले मुख्य ग्रह केतु माने गये हैं। इस ग्रह का शुभ प्रभाव प्राप्त किये बिना इस यात्रा के सफल होने की कोई सम्भावना नहीं बन पाती है। अन्य ग्रहों के प्रभाव से हम धर्म, ज्ञान, चिंतन, ज्योतिष, आध्यात्म से जुड़ तो सकते हैं किन्तु इन क्षेत्रों में कितने समय तक टिक कर रह पाते हैं, केतु का सहयोग मिले बिना यह कहना सम्भव नहीं है। यदि केतु अपना सहयोग दे रहे हैं, तो इन विषयों से जुड़कर लोग लम्बे समय तक खुद को बेहतरीन ढंग से साबित भी कर देते हैं। केतु की शुभता का यही प्रभाव हमें यहाँ स्पष्ट रूप से देखने को मिल जाता है कि ऐसे लोग समाज से जुड़कर उच्च नेतृत्व क्षमता करने वाले होते हैं। क्युंकि समाज से तोड़ते नहीं बल्कि समाज से जोड़ते हैं केतु। केतु ग्रह का नकारात्मक प्रभाव भी है और यह प्रभाव व्यक्ति के मन को तोड़ भी सकता है। ऐसे व्यक्ति को सांसारिक सुख, भोग विलास छोड़ना पड़ सकता है। यदि नहीं भी छोड़ पाते हैं तो व्यक्तिगत जीवन, पारिवारिक सुख में बैचैनी, विरक्ति भर देते हैं केतु।

● केतु यदि शुभ स्थिति में हो, शुभ ग्रह के साथ हुये तो उच्च स्तरीय आध्यात्मिक ज्ञान देते हैं। बूंद बूंद करके ज्ञान ऐसा भर देंगे, धीरे-धीरे व्यक्तित्व का निर्माण ऐसा कर देंगे कि आयु में आपसे कोई वरिष्ठ हो या युवा, यह व्यक्ति को ज्ञान, उच्च अनुभव के आभूषण से लाद देंगे। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि आखिर वह क्या कारण होंगे, किस प्रकार की परिस्थितियाँ होंगी जब मन निजी सुख, वैभव में कम और धर्म, आध्यात्म की ओर अधिक झुकेगा, वहां अधिक रमेगा? जीवन में क्या ऐसा घटेगा कि अचानक मन इन स्थितियों की ओर मुड़ेगा? यही तो केतु का नैसर्गिक रहस्यमयी गुण है जो समझना, पकड़ना अत्यंत कठिन है।

● केतु अचानक व्यक्ति का मन बैचैन कर देते हैं। केतु के पास देने के लिए है ही क्या आखिर? पहले यह समझिये। उन्हें तो सिवाय कड़वाहट भरने के कुछ और करना ही नहीं है, चाहे मन में भरे या रिश्तों में। और ये कड़वाहट घुलती कैसे है आखिर? ये आती है हमारे आस-पास मौजूद ऐसे लोगों के होने पर जो इसको घोलने के मकसद से ही हमारे जीवन में शामिल होने आते हैं। और ये आखिर किस प्रकार की कड़वाहट है? ये सुख के माध्यम से हमको मिलने वाली कड़वाहट है। सोचा जाये अगर, सुख तो भौतिक वस्तुओं से भी मिलता है और किसी प्रियजन के साथ सम्बंधों के माध्यम से भी प्राप्त होता है। असल में जिस सुख को प्राप्त करने की हमारी इच्छा एवं भावना होती है यदि उसका सीधा सीधा संबंध केतु से हो, तो वही सुख केतु का सबसे बड़ा छल है और बाद में जाकर वही छल हमारे मन में कड़वाहट का मुख्य कारण बनता है। केतु हमें व्यक्तिगत जीवन में आसपास ऐसे लोगों से जोड़ देते हैं जो छल से मारते हैं, ये ऐसी स्थिति में ले जाकर छोड़ते हैं, जिनके उत्तर हम खोजते रह जाते हैं। उन्हीं अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर की खोज हमें केतु करवाते हैं। क्युंकि सारा खेल रचा हुआ इन केतु महाराज का ही तो होता है।

● इसीलिए तो कहा गया है केतु के विषय में कि, व्यक्तिगत जीवन में धोखा खाये बिना, खुद के दुख, पीड़ा सहे बिना किसी व्यक्ति की ज्ञान और आध्यात्मिक यात्रा पूर्ण होनी असम्भव है। आध्यात्मिक अनुभव का चरमोत्कर्ष भी तभी प्राप्त होता है जब कोई निजी सुख छोड़ना पड़ जाये या हमसे छिन जाये। केतु के माध्यम से व्यक्ति गहन और सूक्ष्म चिंतन से जुड़ता है और स्वयं के लिए आध्यात्म का मार्ग प्रशस्त कर लेता है, जिसका अर्थ ही स्वयं की खोज है, अपने अन्तर्मन की यात्रा करना ही आध्यात्म है। कोई व्यक्ति स्वयं को तभी खोजने निकलता है जब वह स्वेच्छा से या किसी कारणवश सांसारिक बंधन से मुक्त हो गया हो, वह किसी त्रास से बाहर आना चाहता हो और बस उसी क्षण से उसके मन में जीवन का सही अर्थ व ऊद्देश्य जानने की इच्छा जाग्रत होने लग जाती है। केतु का प्रभाव इसी ओर संकेत करता है कि व्यक्ति को यह तक भूलना पड़ता है कि वह स्वयं कौन हैं, उसकी इच्छायें क्या हैं। जब कोई व्यक्ति परिस्थितिवश अपना मन मारना सीख लेता है, वह तभी इस यात्रा का दार्शनिक लाभ ले पाता है।

● केतु के कारण जीवन में कोई ना कोई एक बार बड़ी हानि या बर्बादी अवश्य होती है। जीवन मिट्टी में मिलना, लांछन, आरोप, छल कपट के अनुभव लिये बिना तो केतु के शुभ फल प्राप्त होने से रहे। केतु सत्य को जानने की परत दर परत खोलते चले जाते हैं जो हमारे जीवन में शायद कभी खुल ही ना पायी हो। केतु व्यक्ति को हमेशा जीवन के गहरे रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए प्रेरित करते हैं। कभी-कभी ये रहस्य इतने भयावह भी हो सकते हैं कि व्यक्ति लिये विश्वास करना ही मुश्किल हो जाता है। इसलिये केतु जीवन में अचानक अलगाव, दूरी, विच्छेदन के निर्णय लेने की स्थिति को जन्म देते हैं।

● केतु के दो रुख हैं– पहला, केतु स्वयं में मिट्टी हैं और दूसरा यह स्वयं में हवा का रूप भी हैं। यानी किसी अच्छी, सुन्दर वस्तु पर जब मिट्टी डालोगे तो उसकी सुन्दरता का क्या ही अस्तित्व रह जायेगा और जब किसी ऊंचे स्थान पर चढ़कर ध्वजारोहण करोगे, तो ध्वजा उँचाई पर हवा के चलने पर लहराने लगती है। बस, अब इन दोनों रुख को समझते हुये ये हमें तय करना होता है कि हम जीवन में मिट्टी के प्रभाव से अपना अस्तित्व खो दें या खुद उँचाई पर चढ़ने का प्रयास करें और ध्वजा के समान हवा के रुख से अपना परचम लहरा दें। क्युंकि, किसी भी रूप में केतु ग्रह का सांसारिक सुखों से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है। इनकी खुराक तो केवल ज्ञान की है, आध्यात्मिक चिंतन की है, स्वयं के जीवन की चिंता किये बिना दूसरों के लिए कुछ विशेष कर्म करने की है, किसी के बिगड़े हुये जीवन को सुधारने की है, अपना सुख भूलकर समाज हित में कुछ उत्कृष्ट कोटि का योगदान देने की है और व्यक्ति को समाज में हर आयु वर्ग का गुरु समान व्यक्तित्व प्रदान करने की है। जो सच्चे अर्थों में आपके द्वारा किये गये हर प्रकार के त्याग के बदले में केतु का विशेष आशीर्वाद होता है जो अन्ततः आपके नाम, ज्ञान का यश और कीर्ति चारों ओर फैलाते हैं।

● तो, केतु प्रधान व्यक्तित्व के लोग यह बिल्कुल भूल जायें कि उनका सांसारिक, भौतिक, वैवाहिक, पारिवारिक जीवन क्या और कैसा रहेगा। ये अब जो भी आपसे करवाते जायें, बस वही आप करते जाएं। और यह बात हमेशा याद रखें कि जो कुछ भी आपके पास वैभव, सुख सुविधायें हैं, उसका भोग केतु आपको अपने ही तरीके से करवायेंगे, लेकिन आपकी इच्छा के अनुसार बिल्कुल भी नहीं।

~ ज्योतिर्विद् अशनिका शर्मा

(नोट: यह लेख पूर्णतः ज्योतिषी के निजी शोध पर आधारित है एवं सटीक परिणाम जानने हेतु व्यक्तिगत कुंडली की विवेचना करना अनिवार्य है।)

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