शुक्र ग्रह का शुभ होना पुरुष के लिए वरदान
स्त्रियों के सौभाग्य व दुर्भाग्य को लेकर अभी तक बहुत सी ज्योतिषीय गणना की जा चुकी हैं लेकिन आज हम जानेंगे कि किसी पुरुष का सौभाग्य और दुर्भाग्य किस ग्रह के शुभ व अशुभ होने से तय होता है। शुक्र ग्रह से पुरुष के सौभाग्य का ही नहीं बल्कि उनके पौरुष्य का भी विचार किया जाता है। ज्योतिषीय आधार पर ऐसा विचार किया जाता है कि किसी कुंडली में शुक्र के तत्व की कमी यह तय कर देती है कि किसी पुरुष के पौरुष्य से लेकर, स्त्री को समझने के गुण, सूझ बूझ, गहरी समझ नैसर्गिक रूप से उसमें कितनी मात्रा में विकसित हुये होते हैं। प्राय: देखा गया है कि शुक्र का बलहीन होना, पुरुषों के लिये भी दुर्भाग्य का कारण बनता है। वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल, अपनी पत्नी को अनदेखा कर अन्य स्त्रियों के प्रति बढ़ता आकर्षण, अनैतिक संबंध, सामाजिक छवि धूमिल होना, महिलाओं के साथ गलत संगति के कारण आरोप लगना, अपनी ही पत्नी से संबंध में मधुरता की कमी आदि कई नकारात्मक पक्ष जीवन में अचानक उभर कर सामने आते हैं।
शुक्र ग्रह का दूषित होना, पुरुषों को कई बार आजीवन अविवाहित रहने के लिए भी सोच बना देता है, विवाह में विलम्ब और यदि विवाह हो भी जाये, या तो लम्बे समय तक चलने वाली स्थितियाँ नहीं बनने देता है या एक ही घर में रहते हुये दोनों पति पत्नी के बीच सामाजिक दिखावे के लिए ही रिश्ते बने रहते हैं एवं परस्पर कोई लगाव नहीं बन पाता है।
जिन पुरुषों को महिलाओं के साथ अपने दिल की बात साझा करना हमेशा प्रिय लगता है, मित्र मंडली में पुरुषों की अपेक्षा महिला मित्र की संख्या अधिक होती है, उसमें शुक्र ग्रह की ही अहम भूमिका होती है। कुंडली में शुक्र दूषित होने पर पुरुषों की स्त्रियों में उठ बैठ बहुत बढ़िया रहती है और उनके साथ सोच का तालमेल भी बढ़िया बना रहता है। किन्तु अपनी वैवाहिक स्त्री के साथ तालमेल का गणित आये दिन गड़बड़ होता रहता है। यदि कुंडली में गुरु की स्थिति उत्तम रहे, तो स्थितियाँ परिवर्तित भी हो सकती हैं। शुक्र के तत्व कम होने पर बाहरी स्त्रियों से तरह-तरह के ज्ञान लेते हुये भी आप कुछ पुरुषों को अकसर देख सकते हैं। क्युंकि किसी ग्रह का जब नैसर्गिक बल कमज़ोर पड़ जाये, तो वह उस ग्रह के कारक तत्व में कमी कर देता है जिस कारण से शुक्र ग्रह की अशुभ स्थिति होने पर प्राय देखा गया है कि ऐसे पुरुष को अपना साहस बटोरने के लिये भी किसी अतिरिक्त ऊर्जा, चिकित्सा,किसी का सहयोग (किसी महिला का या कोई कृत्रिम साधन) समय-समय पर लेने की आवश्यकता महसूस होती रहती है। और यह समय व हालात से ही सीख लेकर आपसी रिश्तों में सहज हो पाते हैं। कभी-कभी ऐसे पुरुषों का विवाह भी इनकी महिला मित्रों की सलाह की बदौलत ही सही से चल रहा होता है। विशेष स्थितियों में कह सकते हैं कि नीच के शुक्र के कारण अधिकांश पुरुषों में ऐसी मनोवृत्ती भी पायी गयी है कि इन्हें कोई ना कोई महिला मित्र अवश्य ही अपनी गुरु के रूप में चाहिए होती है जिसके सामने यह खुलकर अपनी गल्तियां,अच्छे-बुरे राज़ भी स्वीकार कर सकें व समय समय पर वह इनकी गल्तियां बताते हुये इन्हें सही दिशा भी दिखा सके।
कुंडली में यदि शुक्र ग्रह उत्तम स्थिति में है, तो ऐसे पुरुषों को एक सीमित दायरे में अपनी महिला मित्रों के साथ सामाजिक व्यवहार के रूप में उठ बैठ, सधा हुआ हंसी मज़ाक करते हुये देखा गया है। शुभ शुक्र की यही पहचान है कि ऐसे पुरूषों को समाज में एक आदर्श व्यक्ति के रूप में महिलाओं से मान्यता मिल जाती है और कभी-कभी तो ऐसे पुरुष महिलाओं के हित के लिए समाज में सहयोग करने वाले, गुरु तुल्य छवि के रूप में पूजनीय भी हो जाते हैं। क्युंकि, इस आधार पर स्पष्ट रूप से देख भी सकते हैं कि शुक्र का शुभ प्रभाव होने पर कोई विवाहित पुरुष कभी भी अपनी स्त्री का अपमान, उसका तिरस्कार नहीं करेगा एवं एक व्यभिचारी पुरुष कभी किसी महिला के साथ ना तो गुरु के समान चर्चा ही करेगा और ना ही आचरण, केवल उसका ऊद्देश्य स्त्री के साथ संपर्क में आकर उसका भोग करना ही होगा। जो पुरुष मेडिकली अनफिट हो जाते हैं, पुरुषों के वीर्य की गुणवत्ता भी प्रभावित होने लगती है एवं पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरोन,शुगर आदि की अस्थिरता होने लगती है, यह सब कमियाँ भी शुक्र के कारण ही होती हैं। यदि शुक्र ग्रह किसी अन्य ग्रह के साथ पाप प्रभाव में हो, तब पुरुषों में चारित्रिक दोष, हस्तमैथुन करने का अवगुण भी पनपने लगता है, जिससे पुरुषों का शारीरिक सौष्ठव, चेहरे की कान्ति धीरे-धीरे बुझने लगती है। इसको ठीक इस प्रकार से समझने का प्रयास करें जैसे किसी दीये में तेल कम होने पर दीये की रोशनी धीरे-धीरे बुझने लगती है। आजकल पोर्न मूवी देखने का चस्का भी अशुभ शुक्र होने की पहचान है।
विभिन्न लग्न कुंडली में अशुभ शुक्र होने पर उसके प्रभावों में अन्तर देखा जा सकता है। किन्तु पौराणिक ज्योतिषीय मान्यताओं एवं सिद्धांतों के अनुसार, किसी भी पुरुष के आदर्श चारित्रिक गुण, उत्तम सामाजिक व्यवहार,छवि, महिलाओं के प्रति सम्मानित आचरण और संवेदनशील व्यवहार अपनाने में शुक्र ग्रह की ही प्रधानता है।
—अशुभ शुक्र के प्रभाव को कम करने के लिए- पुरुष महिलाओं का सम्मान करें, प्रत्येक शुक्रवार देवी मन्दिर में आराधना करें, गलत संगति में ना रहें, अपनी पत्नी को उपहार स्वरुप कुछ देते रहें, पुरुष शुक्रवार के दिन हल्के रंगों जैसे गुलाबी, ऑफ वाइट रंग के वस्त्र पहने। जिन महिलाओं को अशुभ शुक्र का प्रभाव मिल रहा है वह भी इस नियम का पालन करते हुये इन उपायों का लाभ ले सकती हैं।
~ ज्योतिर्विद् अशनिका शर्मा