भारतीय महिलाओं में बढ़ता नशे का का चलन
आज की महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के साथ बराबर है। आज जहां महिलाएं पुरुषों से हर क्षेत्र में कदम से कदम मिला कर चल रही हैं, वही अब शराब जैसी बुरी लत में भी कंधे से कंधा मिला कर खड़ी हैं।समय.के साथ लोगों की सोच में काफी बदलाव हुआ है शराब भारतीय महिलाओं की जीवन शैली में सोसल स्टेटस और आधुनिकता की निशानी बन गयी है अब महिलाएं बेझिझक शराब खरीदने और पीने लगी है। इसके पीछे आर्थिक-सामाजिक कारण हैं।
खासतौर पर कामकाजी महिलाओं और युवतियों में नशे की लत की शुरुआत आफिस पार्टीयों उनके साथी सहयोगियों और उनके अपने ही घर से होती है।इसमें घरेलू महिलाएं भी पीछे नही है.वह किटी आदि में धडल्ले से शराब और बीयर का सेवन करती है सोसाइटी में हाई प्रोफाइल दिखाने के लिए भी नशा करना महिलाओं का शौक और मजबूरी बन गया है अभी लॉकडाउन सरकार ने शराब राजस्व के लिए शराब की दुकानों को खोलने का आदेश दिया ऐसे में शराब की दुकानों में लाइन में लगी और शराब खरीदती महिलाओं और युवतियों की कई तस्वीरें समाचारपत्रों में प्रकाशित हुई हैं, यह एक तेज़ी से बदलते हुए परिवेश और. देश में खुलेपन पश्चिमी सभ्यता का उदाहरण है कुछ लोगों ने यहाँ पर तीखा कटाक्ष भी किया है कि महिलाएं यहाँ पर पुरुषों के बराबर आ गयीं हैं पर इस किस्म की टिप्पणियां किसी भी प्रकार से भारतीय संस्कृति और सभ्यता के लिए उचित नहीं हैं।महिलाओं में शराब की लत या शौक क्यों बढ़ रहा है, इस पर अब शोध होने लगा है, पहली बार महिलाओं से जुड़े आंकड़ों को शामिल किया गया।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में करीब करीब 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं और देश में 1.06% महिलायें शराब पीती हैं। देश में पंजाब, अरुणाचल, त्रिपुरा और गोवा में ज़्यादा शराब पी जाती है तथा इन प्रदेशों में औसतन 30% लोग शराब पीते हैं। इन्हीं राज्यों में महिलाओं के शराब पीने वालों का अनुपात भी कुल अनुपात के अनुसार बढ़ जाता है। दरअसल देश के सभी राज्यों में पुरुषों की तरह महिलाओं द्वारा भी शराब का सेवन किया जाता है।
एक और दिलचस्प आंकड़ा ये कहता है कि जहाँ पुरुषों में हर5 पुरुष जो शराब पीते हैं उनमें से 1बिना शराब पिए रह नहीं पाता है और उसको शराब पीने की लत लग चुकी है और महिलाओं में ये लत लगने का आंकड़ा हर 16 शराब पीने वाली महिलाओं में से 1 में है। शहरों की सात से दस प्रतिशत तक महिलाएं नशे की चपेट में आ चुकी हैं। वह किसी न किसी रूप में नशा कर रही हैं।
शहरों की लड़कियों में गुटखा या सिगरेट का नशा तेजी से बढ़ा है इसकी शिकार 16 से 25 साल की लड़कियां हैं। 25 से 30 साल की कुछ महिलाएं भी अति महत्वाकांक्षा के चलते नशे की चपेट में आ रही हैं।. वहीं 30 से 40 वर्ष में नशे की आदी महिलाओं का मुख्य कारण घरेलू कलह होती है।
इसके अलावा ड्रग्स लेने वाली महिलाओं और किशोर लड़कियों ,युवतियों की संख्या भी प्रति वर्ष बढ़ती ही जा रही है। ये एक कड़वा सच है कि भारत के गाँव और शहरों में नशे की लत बढ़ती ही जा रही है। ये बात महिलाओं और युवतियों के बारे में भी उतनी ही सच है। युवतियाँ अब खुलेआम शराब पीती हुई होटल्स, रेस्टोरेंट्स में देखी जा सकती हैं और अब इस बात पर किसी के द्वारा कोई हैरानी या परेशानी भी ज़ाहिर नहीं की जाती है। कुछ दशक पहले महिलाओं द्वारा शराब का सेवन अपराध समझा जाता था और बहुत बुरा माना जाता था पर अब ये आम बात होती जा रही है। यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है।
महिलाओं और लड़कियों में नशे की इन आदतों के दुष्परिणाम बहुत जल्दी परिलक्षित हो जाते हैं। गर्भधारण करने, स्वस्थ बच्चों के जन्म में परेशानियां और शारीरिक रूप से अन्य परेशानियां युवतियों में 30 वर्ष की उम्र तक झलकनी शुरू हो जाती है। महिलाओं में नशे और शराब पीने के दुष्परिणामों के बहुत से केस अब मेडिकल वर्ल्ड में अब चर्चा का विषय बने हुए हैं। जहाँ महिलाओं को पुरुषों के समान स्वतंत्रता देने की बात होती है तो सरकार के हाथ इस मामले में बंधे हुए हैं। वो महिलाओं को पुरुषों से अलग सलाह नहीं दे सकती है पर सामाजिक स्तर पर इस बात को उठाया जाना जरूरी है और हाल के सालों में शराबी महिलाओं की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। यह चिंता का विषय है महिलाओं और किशोरी युवतियों को नशे से होने वाले खतरों से आगाह किया जाए। अभी समय है कि इस बढ़ती लत पर काबू पाया जा सकता है अन्यथा अपने स्वास्थ्य और नैतिकता को आधुनिकता के नाम पर बलि चढ़ाना किस विकास की ओर ले जा रहा है, यह प्रश्न आज के परिपेक्ष्य में ज्वलंत है।
-डॉ रचना सिंह”रश्मि”
( लेखिका स्वतंत्र स्तंभकार है। )