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हंसवाहिनी, ज्ञानदायिनी अज्ञानता को दूर करो माँ शारदे, ज्ञान सार से तम को क्षण में दूर करो …….

हंसवाहिनी, ज्ञानदायिनी अज्ञानता को दूर करो
माँ शारदे, ज्ञान सार से तम को क्षण में दूर करो

पद्मासन्ना श्री ,नील जंघा जग, की पीड़ा हर लो
अपनी ममता की छांव में मां बच्चो को धर लो

मात, पिता में तुमको पाए,ऐसा बंधन पूर्ण करो
भक्तों में सदज्ञान समाये कामना सम्पूर्ण करो

सुरवंदिता,माँ सरस्वती , विधा की धारा बहा
ममता के आंचल में लेकर प्यार से पथ दिखा

है चराचर जग की महिमा तुझमें ही समाई है
हर बालक में बसती माँ तेरी ही तो परछाई है

विषय वासना,क्रोध कलुषित इन विकारों को
अपने ज्ञान प्रभाव से इनको जीवन से दूर करो

सदाचार जीवन मे आये,गुणों का विस्तार हो
भक्तों के मस्तक पर सदा अपना आशीष भरो

आप सभी को बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

-आकांक्षा द्विवेदी
बिंदकी, फतेहपुर

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