STORY / ARTICLE
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आहुति देकर नित निद्रा की, मन की व्यथा चुनी है मैंने …….
आहुति देकर नित निद्रा कीमन की व्यथा चुनी है मैंनेनीम रतजगों में तारों सेगोपन कथा सुनी है मैंनेलंबी रातों का…
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धरती के सारे कोनों को, हमने अब तक छान लिया है ……..
धरती के सारे कोनों को हमने अब तक छान लिया है और गगन के चाँद सितारों को हमने पहचान लिया…
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आज मुद्दतों बाद मैं, अपने बचपन के सखा, अपने गांव से मिलने गई …….
मेरा गांव आज मुद्दतों बाद मैंअपने बचपन के सखाअपने गांव से मिलने गई,गाड़ी से उतरते हीमैं और मेरा जिस्मअलग हो…
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आपकी वो इक छुअन जैसे शिला सी हो गई है, क्यों प्रतीक्षा अब हमारी उर्मिला सी हो गई है
आपकी वो इक छुअन जैसे शिला सी हो गई हैक्यों प्रतीक्षा अब हमारी उर्मिला सी हो गई हैलौटकर इक दिन…
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हिन्दू धर्म और श्राद्धकर्म का महातम्य ।
•ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितृ अर्थात् पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए।…
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जब उकता जाओ, चमकीली दुनिया की दिखावट से ……
जब उकता जाओचमकीली दुनिया की दिखावट सेउजले चेहरों की झूठी मुस्कुराहट सेहर सवाल पर झूठ मूठबताये गये अच्छे हाल सेइर्द-गिर्द…
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कुछ गहरा सा लिखना था, प्रेम से ज्यादा क्या लिखूं …..
कुछ गहरा सा लिखना था,प्रेम से ज्यादा क्या लिखूं।कुछ मित्रता सा लिखना था,सुदामा से ज्यादा क्या लिखूं lकुछ ठहरा सा…
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मैं एकबार मिलना चाहती हूँ, उन तमाम लोगों से,जो मंजिल के पास पहुँच कर ……..
मैं एकबार मिलना चाहती हूँउन तमाम लोगों से,जो मंजिल के पास पहुँच कर,रत्ती भर दूरी से वापिस लौट आए हों।जिन्होंने…
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अंतरतम में मृदु स्वप्न पलने लगे, प्रस्तावना से तेरे दृग पटल सजने लगे।
अंतरतम में मृदु स्वप्न पलने लगे,प्रस्तावना से तेरे दृग पटल सजने लगे।बंद पड़े हृदय द्वार पर मुखर भाव से आना,मुझे…
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जब रणभेदी टंकार बजे, घर-घर से हुंकार उठे
जब रणभेदी टंकार बजेघर घर से हुंकार उठेविजयभाल पे खूब सजेऔर जय जय गूंज उठे नई सुबह का सूरज निकलेउत्सव…
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